…तुम सब के सब एक दूसरे की सेवा के लिये दीनता से कमर बान्धे रहो, क्योंकि परमेश्वर अभिमानियों का सामना करता है, परन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है। – 1 पतरस 5:5
पहला पतरस 5:5 हमें बताती है कि परमेश्वर अभिमानियों का सामना करता है…पर वह दीनों पर अनुग्रह करता है। और कोई भी जो सोचता है कि वह एक स्वयं-रचित पुरूष और स्त्री है उसके पास एक दुष्ट जाग्रती है क्योंकि यीशु ने कहा…मुझ से अलग होकर…तुम कुछ नहीं कर सकते (यूहन्ना 15:5)।
जब हम घमण्ड में रहते है, परमेश्वर की सहायता के बिना सफल होने का प्रयास करते, तब हम दुश्मन के बहुत से हमलों के लिए खुले छोड़ दिए जाते है। पर नम्रता एक वह ओढ़णी है जो हमारे जीवनों में हमारी सुरक्षा के लिए परमेश्वर की सहायता को लाती है। जब आप यह कहने के द्वारा स्वयं को नम्र करते है, “परमेश्वर, मुझे नहीं पता कि क्या करना है, और मैं आप पर भरोसा कर रहा हूँ, “तो परमेश्वर आपकी सहायता करेगा।
परमेश्वर जब तक हम उस पर निर्भर और भरोसा नहीं कर रहे तब तक किसी भी बात में हमें सफल होने की अनुमति नहीं देगा। पर जब हम परमेश्वर के बलवान हाथ के नीचे स्वयं को नम्र करते है, तो सही समय पर, वो हमं ऊँचा उठाएगा (देखें 1 पतरस 5:6)। सही समय परमेश्वर का समय है – जब परमेश्वर जानता है कि हम तैयार है, नाकि जब हम सोचते कि हम तैयार है। जितना शीघ्र हम इसे समझते और स्वीकार करते है, उतना शीघ्र परमेश्वर हमारे जीवनों में उसकी योजना को पूरा कर सकता है।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं यह जानते हुए कि आप सही समय पर मुझे बढ़ाएगें, मैं स्वयं को आपके सामने नम्र करती हूँ। मैं अपने आप सफल नहीं हो सकती हूँ। मुझे आपकी सहायता चाहिए।