परमेश्वर प्रेरणाओं द्वारा बात करते हैं

मैं मसीह में सच कहता हूं, झूठ नहीं बोलता और मेरा विवेक भी [प्रकाशमान और प्रेरित] पवित्र आत्मा में गवाही देता है। (रोमियों 9:1)

आज के पद में, पौलुस पवित्र आत्मा द्वारा “प्रेरित” होने के बारे में लिखते हैं। पवित्र आत्मा से ऐसे संकेत या नरम धक्के एक वो तरीका है जिसके द्वारा परमेश्वर हमसे बात करता है।

मुझे इस बारे में व्यावहारिक होने दें। कभी-कभी परमेश्वर मुझे कोमलता से कुछ करने के लिए कहते हैं जैसे कि एक स्टोर में गिरे हुए कपड़ों को उठाना। मैं उनकी श्रव्य आवाज नहीं सुनती जो मुझे ऐसा करने के लिए कहती है, लेकिन मुझे अपने अंदर एक सौम्य धक्का महसूस होता है, उस जगह को छोड़ने की इच्छा जहां मैं बेहतर हूँ इसकी बजाय जहां मैंने इसे पाया। प्रभु उसके चरित्र के बारे में मुझे अधिक सिखाने के लिए मेरी आज्ञाकारिता का उपयोग करता है। वह मुझसे कहता है, “तुम जो कुछ भी जीवन में करते हो वह बीज बोने का एक कार्य है जो तुम तक लौट आएगा। तुम जो बोओगी वही काटोगी।” अगर मैं उत्कृष्टता के बीज बोती हूं, तो मैं अपने जीवन में उत्कृष्ट चीजों की उम्मीद कर सकती हूं।

एक अन्य उदाहरण के रूप में मुझे हाल ही में पवित्र आत्मा द्वारा एक महिला को प्रोत्साहन का ईमेल भेजने के लिए प्रेरित किया गया था जिसे मैं जानती हूं कि वह सेवाकाई में है। मैं उसे वर्षों से जानती हूं और कभी भी उस जरूरत को महसूस नहीं किया, लेकिन मैंने संकेत का पालन किया और मुझे एक त्वरित उत्तर प्राप्त हुआ जिसमें कहा गया कि उस विशेष समय में मेरा प्रोत्साहन उसके द्वारा किए जा रहे कुछ निर्णयों के बारे में पुष्टि करता है।

परमेश्वर के आंतरिक प्रेरणाओं के नेतृत्व में होना एक साहसिक कार्य है जो हर दिन को रोमांचक और ताजा बनाता है। परमेश्वर से सुनने के लिए सीखने में हमें इन कोमल, आंतरिक प्रेरणाओं का पालन करना सीखना चाहिए।


आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः पवित्र आत्मा के “धक्कों” के प्रति संवेदनशील रहें, चाहे वे कितने भी छोटे हों।

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