जब वे खाकर तृप्त हो गए तो उसने अपने चेलों से कहा, “बचे हुए टुकड़े बटोर लो कि कुछ फेंका न जाएँ।” – यूहन्ना 6:12
आपके जीवन में कोई भी अनुभव कभी बेकार या व्यर्थ नहीं होता है यदि आप अपनी सारी परवाह प्रभु पर डाल देते हैं। चाहे आपका बिखरा हुआ जीवन किसी त्यागी हुई रणभूमि जैसा दिखाई पड़े, यीशु उन बिखरे टुकड़ों को जो जोड़कर पुनः एक सुंदर आकार दे सकता है।
थोड़ी सी रोटियाँ और दो मछलियों के साथ पाँच हज़ार लोगों को खिलाने के पश्चात् यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “बचे हुए टुकड़े बटोर लो कि कुछ भी फेंका न जाए।” (यूहन्ना 6:12)। शिष्यों ने बचे हुए टुकड़ों से भरी बारह टोकरियाँ उठाई जो अब भी उन रोटियों और मछलियों की छोटी सी भंेट से कहीं अधिक थी जिसे यीशु को सबसे पहले दी गई।
परमेश्वर ने मुझे भय, असुरक्षा, भावनात्मक लगाव, और कहीं गहरे बंधनो और अस्वीकृत होने की भावना के बंधन से छुड़ाया है। तब उसने मेरे बिखरे जीवन को पुनः आकार दिया और अपने लोगों को शिक्षा देने का महिमामय अवसर दिया कि किस प्रकार संपूर्ण हो सकते हैं, किस प्रकार वे फलदायक, प्रसन्न, जीवन और सेवकाई पा सकते हैं; और किस प्रकार वे स्वस्थ, प्रेममय संबंधो का आनंद उठा सकते हैं।
बाहरी परिस्थितियों से प्रभावित होने से बचने के लिए हमें आंतरिक सामथ्र्य की आवश्यकता है। हमें अवश्य ही परमेश्वर को हमारे बिखरे सपनों को बटोरने और हमें मसीह के स्वरूप में पुनः ढालने देना चाहिए। यह करने के लिए हो सकता है कि उसे कुछ टुकडों को पीस कर मिट्टी बनाना, हमें अपने वचन से सींचना, हमारे छोड़े हुए टुकडों को पुनः आकार देना, और हमें वापस कुम्हार के चक्र पर रखना पड़े। परन्तु उसे देने से हमने जो टुकड़े रख छोड़े हैं उनसे कुछ अदभुत बनाने के लिए वह योग्य है।