यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा। (यूहन्ना 15:7)।
आज का वचन हमें बताता है कि हम कुछ भी जो हमारी “इच्छा” है उसे माँग सकते है और अगर हम मसीह में बने रहते है तो यह हमारे लिए हो जाएगा। इसके संभव होने का एक ही मार्ग यह है कि हमारी इच्छाएं परमेश्वर की इच्छाओं के साथ मिलती जाएं जैसे-जैसे हम उस में परिपक्व होते जाते है।
प्रत्येक विश्वासी का लक्ष्य परमेश्वर के साथ एक होना है। यह आत्मिक रूप से तब होता है जब हम नया जन्म पाते है, और यह हमारे मन, इच्छा और भावनाओं में तब होता है जब हम निरंतर उस में बढ़ते और परिपक्व होते है। जब हम ऐसा करते है, हमारी इच्छाएं उसकी इच्छाएं बन जाती है और हम उनका अनुसरण करने में सुरक्षित होते है।
डेव और मेरे पास जो हमारी सेवकाई के लिए बुलाहट है वो इसकी एक अच्छी उदाहरण है। परमेश्वर की इच्छा थी कि हम सेवकाई में हो और लोगों की उस ढंग में सहायता करें जैसा उसने हमें उनकी सहायता करने के लिए वरदान दिया हुआ है। यह हमारे हृदयों की भी इच्छा रही है। हम ने हर सप्ताह यात्रा करते, होटल में रहते, और अपने परिवार से दूर होते कई साल खर्च नहीं किए होने थे अगर सेवकाई के लिए हमारी इच्छा परमेश्वर द्वारा ना दी गई होती। उसने सेवा करने के लिए इतनी मजबूत इच्छा हमारे अन्दर रखी थी कि हम किसी भी बलिदान को करने या किसी भी विरोध पर जय पाने के इच्छुक थे जो हमारे लिए उसकी इच्छा को पूरा करने के विरोध में आ सकता था।
परमेश्वर के साथ बने रहना, उसके साथ “घूमना” उसके साथ समय खर्च करना, उसकी उपस्थिति में होना, और उन इच्छाओं को पूरा करना होता है जो वह हमारे अन्दर रखता है, क्योंकि यही हमारे लिए उसकी इच्छा है। वह हम से बात करता और हमारे दिलों में अपनी इच्छाएं रखता है ताकि हम प्रार्थना कर सकें और उन बातों को माँग सकें जो वह हमें देना चाहता है। वह हमें जब तक यह उसकी इच्छाएं है और जब तक हम उसमें बने रहते है तो उन्हें हमें देने के लिए वफादार होगा।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः आज परमेश्वर के साथ “घूमे;” वह एक महान साथी है।