हमारा प्रभु महान और अति सामर्थी है; उसकी बुद्धि अपरम्पार है। (भजन संहिता 147:5)
मुझे नहीं लगता कि मैं बहुत वाक्पटुता के साथ बोलती हूं, और आप यह नहीं सोच सकते हैं कि आपके संवाद करने का तरीका बहुत परिष्कृत है। मुझे इस बात की बिलकुल चिंता नहीं है कि जब मैं परमेश्वर से बात करती हूं तो मैं कैसे बात करती हूँ; मैं बस परमेश्वर को बताती हूं कि मेरे दिल में क्या है – और मैं इसे वैसे ही बताती हूं जैसे कि यह सीधा, सरल और स्पष्ट है। इसी तरह मैं अपने पति से बात करती हूं; इसी तरह से मैं अपने बच्चों से बात करती हूं; इसी तरह से मैं उन लोगों के साथ बात करती हूं जिनके साथ मैं काम करती हूं; इसलिए इसी तरह मैं परमेश्वर से बात करती हूं और वह भी इसी तरह मुझे जवाब देता है। मैं उसे प्रभावित करने की कोशिश नहीं कर रही हूं; मैं अपने दिल की बात उसके साथ साझा करने की कोशिश कर रही हूं- और मैं इसे सबसे अच्छे तरीके से तब कर सकती हूं जब मैं साधारण जो हूं वही होती हूं।
जैसे परमेश्वर ने हमें बनाया है, हम वैसे ही है, इसलिए हमें बिना ढोंग के उसके पास जाने की आवश्यकता है, और बिना यह सोचे कि उससे बात करने का एक निश्चित तरीका है। जब तक हम निष्कपट हैं, वह सुनेंगे। यहां तक कि अगर हमारे दिल की बातें सबसे अच्छे तरीके से व्यक्त नहीं की जा सकती हैं, तो भी वह हमें सुनता और समझता है कि वह क्या है। उसके प्रति दिल का झुकाव उसकी दृष्टि में अनमोल है और वह उन शब्दों को भी सुनता हैं जिन्हें बोला नहीं जा सकता। कभी-कभी हम प्रार्थना करने के लिए बहुत ज्यादा दर्द में होते हैं, और हम जो कर सकते हैं वह बस रोना या कराहना होता है, और परमेश्वर यह भी समझते हैं। आज आपको यह जानकर सुकून मिल सकता है कि परमेश्वर आपकी हर बात को समझते और सुनते है।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः परमेश्वर सच्चाई पसंद करते है; जब आप प्रार्थना करते हैं तो आप जो है वो ही रहें।