तुम फिर कभी न रोओगे, वह तुम्हारी दोहाई सुनते ही तुम पर निश्चय अनुग्रह करेगाः वह सुनते ही तुम्हारी मानेगा। (यशायाह 30:19)
हमारी दोस्ती न केवल हमें फायदा पहुँचाती है, बल्कि यह हमारे आस-पास के लोगों को भी फायदा पहुँचाती है। जब लोग जरूरतों या चिंताओं के साथ हमारे पास आते हैं, तो हम कुछ मदद करने में सक्षम हो सकते हैं, लेकिन हम पूरी तरह से उनकी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकते। यदि हमारे पास वह नहीं है जो लोगों को वास्तव में चाहिए, तो वो परमेश्वर के पास है। जब हम परमेश्वर के दोस्त होते हैं, तो हम लोगों से कह सकते हैं, “मेरे पास वह नहीं है जिसकी आपको आवश्यकता है, लेकिन मैं किसी ऐसे व्यक्ति को जानती हूं जिसके पास यह है। मैं अपने दोस्त से पूछूँगी! मैं आपके लिए परमेश्वर के सामने मध्यस्थता करूंगी।”
हम जानते हैं कि परमेश्वर के पास लोगों की परिस्थितियों में हस्तक्षेप करने की सामर्थ्य है, उसके पास उनके बच्चों को नशीली दवाईयों का उपयोग करने से रोकने में मदद करने की सामर्थ्य है, वित्तीय सफलताएं लाने की सामर्थ्य है, उसके पास चंगाई चमत्कार करने या विवाह संबंधी समस्याओं को हल करने की सामर्थ्य है। जितना अधिक हम परमेश्वर को जानते हैं, उतना ही अधिक हम लोगों की मदद करने की उसकी इच्छा और क्षमता के बारे में आश्वस्त होते हैं। जब वे हमारे पास आते हैं, तो हम परमेश्वर के पास जा सकते हैं, और जान सकते हैं कि वह उनके लिए कुछ करेंगे। हम परमेश्वर से हमारे लिए कुछ करने के लिए और किसी ऐसे व्यक्ति की मदद करने के लिए कह सकते हैं जिसे हम प्यार करते हैं, तब भी जब हम जानते हैं कि वे इसके लायक नहीं हैं। हम करुणा के साथ प्रेम के भाव से प्रार्थना कर सकते हैं – और परमेश्वर सुनता है और उत्तर देता है।
परमेश्वर आपसे प्यार करता है, और वह आपकी आवाज से प्यार करता है जो प्रार्थना और संगति में उसके पास आती है। न केवल अपनी जरूरतों के लिए, बल्कि दूसरों की जरूरतों के लिए भी उसके पास जाएं।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः याद रखें कि परमेश्वर आपकी आवाज से प्यार करता है।