पर्वत के ऊपर जाना

पर्वत के ऊपर जाना

जब तू जल में होकर जाए, मैं तेरे संग संग रहूँगा और जब तू नदियों में होकर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी; जब तू आग में चले तब तुझे आँच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी। यशायाह 43:2

जब हम जानते हैं कि परमेश्वर हमारे साथ है, तब हम जानते हैं कि हम उसके द्वारा किसी भी कठिनाई पर जीत हासिल कर सकते हैं। हमें कभी भी अपनी समस्याओं से छिपने की जरुरत नहीं है। हम परमेश्वर के सामर्थ्य और बुद्धि द्वारा उनका सीधा सामना कर सकते हैं। हम जिस किसी चीज से छिपते या भागते हैं, वह चीज अभी भी हमारे ऊपर अधिकार रखती है।

कभी-कभी हम एक ही पहाड़ के चारों ओर घूमते रहते हैं, और हम जंगल में के उन इस्राएलियों के समान हो जाते हैं, जो चालीस वर्षों तक इधर-उधर भटकते रहे (व्यवस्थाविवरण 2:1-3)। लेकिन हम परमेश्वर के जितने करीब आते हैं, हम उतने ही अधिक दृढ़ता से हमारे अपने पहाड़ों का सामना करते हैं और आत्मविश्वास से भरकर परमेश्वर के साथ आगे बढ़ते हैं। यही विजय का एकमात्र मार्ग है। दाऊद गोलियत से दूर न भागा, वह यहोवा के नाम से उसकी ओर भागा।

मैं आपको प्रोत्साहित करती हूं कि आप हार मानने से इंकार कर दें, चाहे आपकी परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो। भरोसा रखें कि परमेश्वर के पास आपके जीवन के लिए एक योजना है, और प्रार्थना करें कि परमेश्वर आपको आगे बढ़ते रहने की शक्ति दे, चाहे पहाड़ कितना भी ऊंचा क्यों न हो।

सबसे महत्वपूर्ण बात, मैं आपको यात्रा का आनंद लेने के प्रति दृढ़ संकल्पीत होने के लिए प्रोत्साहित कर रही हूं। जीवन का आनंद लेना हृदय का एक दृष्टिकोण है, हर चीज का आनंद लेने का निर्णय है क्योंकि परमेश्वर हर चीज का उपयोग कर सकता है—यहां तक कि कठिन लगने वाली चीजों का भी—उसकी सिद्ध योजना को पूरा करने के लिए।


आपके जीवन में परमेश्वर का सामर्थ्य और उसकी उपस्थिति आपको उन परिस्थितियों से ऊपर उठाएगी, जिन पर अन्य लोग जय नहीं पा सकते हैं।

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