मैं पिता से विनती करूँगा, और वह तुम्हें एक और सहायक (परामर्शदाता, सहायक, मध्यस्थ, बलदेनेवाला और साथ खड़े होने वाला) देगा कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। -यूहन्ना 14:16
इस आधुनिक युग में हमारे लिए साथ में खड़े होने का एक विशेष अर्थ और प्रयोग है। हम सब जो विमान यात्रा करने वाले हैं खड़े रहना शब्द से परिचित है। इसका अर्थ है जैसे हवाई टिकट के काउन्टरों पर उस इंतज़ार में खड़े रहते हैं कि वे पहले उपलब्ध हवाई जहाज़ में स्थान पा सकें। प्रभु ने इस दृश्य का इस्तेमाल मुझे पवित्र आत्मा को अपने खड़े होनेवाले के रूप में सिखाने के लिए इस्तेमाल किया। वह जो हर समय हमारे साथ खड़ा होता है इस इंतज़ार में कि पहले उपलब्ध अवसर को उड़ कर पकड़ ले और हमें सहायता और सामर्थ्य दे जिसकी हमें ज़रूरत है। इसलिए वह हमारा सहायक और सामर्थ्य देनेवाले के रूप में भी पुकारी जाती है।
मैंने सीखा है कि आत्मिक प्रार्थनाओं में से एक जो हम कर सकते हैं वह दो शब्द की प्रार्थना है, “सहायता करो!” मैं आपको नहीं बता सकती कि एक सप्ताह में मैं कितनी बार ठहर जाती कि परमेश्वर की ओर पुकारती हूँ, कि “प्रभु मेरी सहयता कर, मुझे सामर्थ्य दें। मैं जानती हूँ कि तू यहाँ है, क्योंकि बाइबल मुझ से प्रतिज्ञा करती है कि तू हमेशा साथ में खड़ा रहता है कि मेरी सहायता करे और मेरे जीवन की प्रत्येक स्थिति में मुझे मज़बूत करे।” कभी कभी जब मैं प्रचार करती और दिन रात शिक्षा देती हूँ मैं बहुत अधिक थकित हो जाती हूँ। मुझे केवल इतनी प्रार्थना करनी है, “प्रभु मेरी सहातया कर मुझे तेरे सामर्थ्य की ज़रूरत है।”
ऐसे समय भी आते हैं जब मैंने चार दिन में सात सभाएँ की हो। अधिकांशतः मैं बहुत थक जाती हूँ कि मुझे अपने आपको स्मरण दिलाना पड़ता है कि मेरी सहायता प्रभु से आती है और मैं उसकी ओर देखकर पुकारती हूँ और उसकी प्रतिज्ञाओं का दावा करती हूँ कि वे जो उसके ठहरते हैं वह उनके बल को नया करता है (भजन संहिता 121:2 और यशायाह 40:31 देखिए)। ऐसे क्षणों में मैं हमेशा सहायता और सामर्थ्य पाती हूँ जिसे मुझे अपने कार्य को समाप्त करने के लिए ज़रूरी है जो परमेश्वर ने मुझे करने के लिए दिया है।