और मैं पिता से विनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। – यूहन्ना 14:16
हमारा सबसे बड़ा दुश्मन भावनाएं है। हम कैसे महसूस करते के द्वारा अगुवाई किए जाने का रूझान रखते है, पर हमें यह पहचानना चाहिए कि भावनाएं चंचल होती है और हर दिन बदलती रहती है। हमें हर विचार जो हमारे मन में आता उसका अनुसरण ना करने के प्रति सावधान रहना चाहिए क्योंकि हमारे विचार और भावनाएं हम पर सच्चाई का हुक्म नहीं चलाती है।
उदाहरण के लिए, बहुत से लोग निराश होते है क्योंकि वह सच्चाई का सामना नहीं कर सकते, पर पवित्र आत्मा हम पर सत्य को प्रकट करने के लिए आता है। हमें बहाने बनाने और हमारी समस्याओं के लिए बाकी प्रत्येक को दोष देने की बजाए सत्य का सामना करना और हमारे कार्यों के लिए जिम्मेदारी लेनी है। जब हम ऐसा करते और हमारी सहायाता करने के लिए परमेश्वर को कहते है, भारीपन का आत्मा हमें छोड़ कर चला जाता है और हम हल्का और आजाद महसूस करते है।
आप पवित्र आत्मा के आगे समर्पित होने और बुद्धि जो वो प्रकट करता का आज्ञा पालन करने के द्वारा आपकी भावनाओं पर जय का अनुभव कर सकते है। यीशु ने उसे हमारा तसल्ली देने वाला, सलाहकार, सहायक, मध्यस्था करने वाला, समर्थक, बल देने वाला और सदा हमारे साथ रहने वाला होने के लिए भेजा था।
परमेश्वर का धन्यवाद कि हमें निराश, निरूत्साहित, हताश, उदास या परेशान रहने की जरूरत नहीं है। पवित्र आत्मा हमें हमारी भावनाओं पर जय देता है!
आरंभक प्रार्थना
पवित्र आत्मा, मैं अपने आप मेरी भावनाओं और व्यवहार पर नियंत्रण नहीं कर सकती हूँ। जय में मेरी अगुवाई करने के लिए आपकी शक्ति देने के द्वारा मेरी सहायता करने के लिए आपका धन्यवाद।