
इसलिए पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी। – मत्ती 6:33
अक्सर हम नहीं सोचते हैं कि हमारी प्राथमिकताएँ क्या हैं फिर भी हमारी प्राथमिकताएँ है। जो कुछ हमारे विचारों में पहले है और हम कैसे अपने समय की योजना बनाते हैं वह हमारी प्राथमिकताएँ है। फिर भी हमारे जीवन में अधिक शांति के लिए परमेश्वर को सब बातों से ऊपर पहले रखने की आवश्यकता है उन सब चीज़ो से जो हमें आकर्षित करती है। हमारे आकर्षण का शर्त रखता है।
यदि आप अपनी आर्थिक बातों में परमेश्वर को प्रथम स्थान में रखते हैं, अपने समय में प्रथम स्थान में रखते हैं, अपनी बातों में प्रथम स्थान रखते हैं, अपने विचारों में प्रथम स्थान पर, अपने निर्णयों में प्रथम स्थान पर, आपका जीवन सफल होगा। इस सच्चाई का मैं जीवित प्रमाण हूँ। इससे पहले कि मैं परमेश्वर को प्रथम स्थान पर रखना सीखूँ मैं सबसे बड़ी दुर्दशा में पड़ी हुई थी जिसमें कोई भी हो सकता है। मेरी एक बुरी आदत थी और मैं एक साथ दो सकारात्मक बातें नहीं कर पाती थी। मैं किसी को पसंद नहीं करती थी और कोई भी मुझे पसंद नहीं करता था। मेरे बचपन के दुर्व्यवहार ने मुझे कड़वाहट, द्वेश और अक्षमा से भर दिया था।
यदि हम परमेश्वर को एक छोटे से इतवार को सुबह रूपी डब्बे में डाल दें और हमारी प्राथमिकता में केवल उसे सप्ताह के आराधना 45 मिनट तक ही रखें तो हमारा जीवन आशीषित नहीं होगा। यदि मसीही लोग सब कुछ में यीशु को प्रथम स्थान पर रखते तो संसार एक अच्छी स्थिति में होता। निश्चित रूप से ईमानदार और परमेश्वर का भय माननेवाले विश्वासी कलीसिया में हर समाज में हैं परन्तु उतने नहीं जितने होने चाहिए।
मैंने अपने आपको प्रशिक्षित किया है कि प्रतिदिन अपने जीवन का पहला फल परमेश्वर को देने के द्वारा प्रारंभ करूँ। मैंने जाना है मैं शांतिपूर्वक दिन को व्यतीत नहीं कर सकती यदि परमेश्वर के साथ समय व्यतीत न करूँ और उसे प्रथम स्थान में न रखूँ।