‘‘हे बड़े (मानव बाधा रूपी) पहाड़, तू क्या है? जरूब्बाबेल (जिसके साथ यहोशू ने बाबुल की बंधुआई से वापसी में अगुवाई की और उसके सामने मंदिर के पुनर्निमाण का कार्य कर रहा था) के सामने तू मैदान (छुछुंदर की बांबी) हो जाएगा; और वह चोटी का पत्थर यह पुकारते हुए आएगा, उस पर अनुग्रह हो, अनुग्रह!’’ -जकर्याह 4:7
सामरी लोग जो इस्राएलियों के विरोध में उठ खड़े हुए वे प्रभु का मन्दिर को बना रहे थे। वे मानवीय बाधाओं रूपी पहाड़ के रूप में हो गए थे जो उन्हें निराश करते और रोकते थे कि परमेश्वर ने जो आज्ञा उन्हें दी थी उसे वे न कर सके। ऐसी परिस्थिती हो सकती है जिसमें आप स्वयं को अभी पाते हों जब आप इन शब्दों को पढ़ते हैं। आप महसूस करते हों कि प्रभु ने आपसे कुछ करने के लिए कहा है; परन्तु शत्रु आपके मार्ग पर आपको निराश करने और प्रभु की इच्छा को पूरा करने में रोकने के लिए बाधाओं का पहाड़ खड़ा कर दिया हो। यदि ऐसा है, तो मैं जानती हूँ कि आप कैसा महसूस करते हैं क्योंकि इसी प्रकार मैं भी महसूस किया करती थी। समस्या नज़रिए की है, इस भाग में प्रभु जकर्याह से कहता है, कि इस्राएलियों द्वारा सामना किया जा रहा समस्या यदि पहाड़ के समान लगता है; परन्तु वह वास्तव में समतल भूमि है। आप कैसे चाहते हैं कि आपकी सारी पहाड़ियाँ समतल भूमि बन जाएँ? वे हो सकते हैं यदि आप वह करें जो परमेश्वर यहाँ कह रहा है और समस्याओं की ओर नहीं परन्तु प्रभु की सामथ्र्य की ओर देखें। यदि परमेश्वर ने आपसे कुछ करने के लिए कहा है, तो निश्चय ही वह न केवल उसे आपको करने देगा बल्कि समाप्त भी करेगा।