इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म [कार्य करने और सही करने का उसका ढंग] की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी। (मत्ती 6:33)
परमेश्वर चाहता है कि हम धार्मिकता, शान्ति और आनन्द को खोजें, जो कि उसका राज्य है (देखें रोमियों 14:17)। वो चाहता है कि हम अच्छे व्यवहार की गहरी इच्छा रखें और इसे पाने के लिए सब जो हम कर सकते वो करें, और जब हम ऐसा करते है तो वो जो वस्तुएं हमें चाहिए और हम इच्छा रखते वो हमें देने का वायदा करता है। वो चाहता है कि हम उसे खोजें और जब हम ऐसा करते तो यह उसे प्रसन्न करता है।
जब हमारे पास कोई इच्छा होती है, हमें साधारणता परमेश्वर से माँगना चाहिए और पूरी तरह उस पर भरोसा करना चाहिएः फिर भी, हमें वस्तुओं की लालसा रखने से बचना चाहिए। मैं सोचती हूं कि जब हम इतना ज्यादा चाहते कि हम यह सोचते कि हम इसके बिना प्रसन्न नहीं हो सकते तो हम लालसा रख रहे है। मैंने एक बार एक स्त्री को ऐसा कहते सुना कि अगर परमेश्वर उसे बच्चे नहीं देता है तो वो प्रसन्न नहीं हो सकती। मैंने कुँवारी लड़कियों को भी उनकी शादी करने की इच्छा के संबंध में यही टिप्पणी करते सुना है। इस तरह के व्यवहार परमेश्वर के आगे गलत और घृणास्पद है। परमेश्वर के अलावा कुछ भी जो हम महसूस करते कि प्रसन्न रहने के लिए चाहिए दुश्मन उसे हमारे विरूद्ध इस्तेमाल कर सकता है, इसलिए अपनी इच्छा को संतुलित रखने के लिए निश्चित हो।
प्रार्थना करना और परमेश्वर को प्रबन्ध करने की अनुमति देना अपने आप बातों को होने वाला बनाने का प्रयास करते स्वयं को कष्ट देने से ज्यादा उत्तम है। सदा याद रखें कि परमेश्वर भला है और वो आपके लिए भला होना चाहता है, इसलिए उस पर और उसके राज्य पर अपनी नजरें बनाए रखें और जो आपके लिए सही उन बातों का प्रबन्ध करने के लिए इंतजार करें।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः प्रसन्न होने के लिए कुछ भी जो आपको चाहिए शैतान उसे आपके विरूद्ध इस्तेमाल कर सकता है।