पुलों का निर्माण, दीवारों का नहीं

पुलों का निर्माण, दीवारों का नहीं

क्योंकि वही (स्वयं) हमारा मेल है जिसने दोनों को (यहूदियों और  यूनानियों) एक (देह) कर लिया और अलग करनेवाली दीवार  को जो बीच में थी ढा दिया (नाश कर दिया, गिरा दिया)। -इफिसियों 2:14

एक दिन जब मैं प्रार्थना कर रही थी पवित्र आत्मा ने मुझे दिखाया कि मेरा जीवन अन्य लोगों के लिए पुल बन गया था कि वे पार होकर परमेश्वर में अपना स्थान ढूँढ़ सके। बहुत वर्षों तक मैंने अपने जीवन में केवल दीवारों का निर्माण किया था; परन्तु अब जहाँ पर दीवार थे वहाँ उसके बदले में पुल हैं। सभी कठिन और गलत बातें जो मेरे जीवन में हुई हैं वे राजमार्ग में परिवर्तित हो गई हैं जिसमें अन्य लोग उसी स्वतन्त्रता को पाने के लिए सफ़र कर सकते हैं जो मैंने पाया है। मैंने दीवार की बजाए पूल बनाना सीख लिया है।

इब्रानियों 5:9 में यीशु को ‘‘उद्धारकर्ता और श्रोत कहा गया।” वह हमारे और परमेश्वर के बीच में रास्ता में बना। वह गुज़रने के लिए हमारे लिए एक राजमार्ग बन गया। यह ऐसा है मानो उसने एक बड़े जंगल का सामना किया और हमारे आगे आगे चला ताकि जब हम चले तो हम सही मार्ग पर चलें और उन सारे तत्वों से और जंगल के भीमकाय मनुष्यों से लड़ना न पड़े। उसने अपना बलिदान हमारे लिए किया और अब हम उसके बलिदान से लाभ प्राप्त करते हैं। वह हमें दूसरों के लिए बलिदान होने का अवसर देता है ताकि वे वही लाभ प्राप्त कर सके जिसका हम आनंद उठाते हैं।

इब्रानियों 12:2 कहता है कि यीशु ने उस आनंद को पाने के लिए क्रूस का दुःख सहा, जो मुकुट उसके सामने रखा गया था। मैं स्वयं को यह तथ्य स्मरण दिलाना चाहती हूँ कि जब मार्ग कठिन होता है; मैं स्वयं से कहती हूँ, ‘‘आगे बढ़ते रहो जॉयस, आगे आनंद है।”

अपने दीवारों को तोड़ने और पुल बनाने का निर्णय लीजिए। बहुत सारे लोग हैं जो अपनी ही परेशानियों में खो गए जो उनके आगे किसी को चलने और रास्ता दिखाने की ज़रूरत है। उनके लिए वह व्यक्ति क्यों न बनें, दीवार या पुल; चुनाव आपका है।

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