प्रतिदिन उम्मीद रखों

प्रतिदिन उम्मीद रखों

उसने उनसे कहा, उन समयों या कालों को जानना जिनको पिता ने अपने ही अधिकार में रखा है, तुम्हारा काम नहीं। – प्रेरितों 1:7

अक्सर हम बहुत सारी निराशाओं का अनुभव करते हैं जो आनंद और खुशी मनाने में बाधा पहुँचाती है। क्योंकि हम स्वयं निर्णय करते हें कि कुछ कार्य निश्चित रीति से या निश्चित समय पर किया जाना है। जब हम बहुत ही बलपूर्वक कुछ चाहते हैं हम स्वयं से आसानी से कायल कर सकते हैं यह बात करना हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा है।

मैं चीज़ों के लिए अक्सर हमेशा विश्वास करती हूँ। मैं लक्ष्यपूर्ण हूँ और मुझे हमेशा आगे की ओर देखने के लिए कुछ चीज़ों की ज़रूरत पड़ती है। बहुत वर्षों पूर्व मैं सोचती थी कि विश्वास मुझे कुण्ठित करता है। मैंने अपने विश्वास का इस्तेमाल उन बातों को पाने में किया जो मैं चाहती थी। जब मैं समय पर नहीं पहुँचती तब मैं महसूस करती थी कि मैं विश्वास के विभाव में पराजित हो गई हूँ।

अब लगभग बीस वर्षों बाद मैं जानती हूँ कि मैं अपने विश्वास को इस्तेमाल कर सकती हूँ और करना चाहिए। परन्तु परमेश्वर का एक नियुक्त समय है। ‘‘समय के ठीक पूरा होने तक” (1 पतरस 5:6), ‘‘नियुक्त समय पर”(उत्पत्ति 18:14), ‘‘जब उसका उचित समय आया” (गलातियों 4:4), यह बातें मुझे बाइबल परमेश्वर के समय के विषय में कहती है।

परमेश्वर ने स्वयं यह बात स्पष्ट किया कि ये समय क्या हैं यह जानना हमारा काम नहीं है। प्रत्येक दिन उम्मीद में बने रहना चाहे कितना भी लम्बा समय लगे मुझे और आपको आनंद में बहने में सहायता करेगा।

मुझे निश्चय है कि हममें से अधिकांश लोग उम्मीद रखते हैं, मैं जानती हूँ कि मैं भी हूँ। ऐसी बातें हैं जो परमेश्वर ने मुझे बात की है-ऐसी बातें जो मेरे हृदय में रखी हैं-जिनको मैंने अभी तक गलत होते हुए नहीं देखा है। उनमें से कुछ पंद्रह और सोलह साल पुरानी है। अन्य बातें जो उसने उसी समय कही थी, पूरी हो गई। मैं भ्रम में पड़ जाती थी अब मैं भ्रम में नहीं रहती हूँ, मैं उम्मीद रखती हूँ। किसी भी क्षण, किसी भी दिन – शायद आज मेरा समय आ सकता है और आपका भी।

Facebook icon Twitter icon Instagram icon Pinterest icon Google+ icon YouTube icon LinkedIn icon Contact icon