
क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है कि जो कोई पुत्र को देखे और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊँगा। यूहन्ना 6:40
एक मसीही व्यक्ति के प्रति जीवन नियमों का पालन करने और आवश्यकताओं की एक सूची को पूरा करने के लिए नहीं था। हां, परमेश्वर हमें जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन और निर्देश देता है, लेकिन ये धार्मिक कर्तव्य नहीं हैं; यह वे सिद्धांत हैं जो हमें उस आनंदमय, बहुतायत, उमड़ते जीवन को पाने में मदद करेंगे जो यीशु हमें देने के लिए मरा था।
परमेश्वर चाहता है कि आप “धर्म” के आगे बढ़ें और परमेश्वर के साथ एक गहरे, करीबी, घनिष्ठ संबंध में जीवन जिएं। परमेश्वर के करीब आने का यही मतलब है। वह कोई दूर बैठा देवता नहीं है जो विधिवादी, ठंडा और पहुंच से बाहर है। परमेश्वर आपका स्वर्गीय पिता है जो आपसे बिन शर्त और नियमित प्रेम करता है।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके अतीत में क्या हुआ है, आप कितनी बार असफल हुए हैं, आपके विचारानुसार आपके अंदर कितनी गलतियां हैं, तौभी आप परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ते में जीवन जी सकते हैं। वह आपको क्षमा कर देगा। वह आपको सांत्वना देगा। वह आपके साथ चलेगा। और वह आपको कभी न छोड़ेगा या आपको कभी न त्यागेगा।
परमेश्वर आपकी सोच के परे आपसे अधिक प्रेम करता है। आपको सिर्फ आज उसका प्रेम स्वीकार करना है।
“प्रतिदिन परमेश्वर (प्रभु) के करीब” जीना केवल परमेश्वर के प्रेम को प्राप्त करने और बदले में उससे प्रेम करना सीखने की बात है।