मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें! -भजन संहिता 34:3
महिमा करने का अर्थ है “बढ़ाना”। जब हम परमेश्वर से कहते हैं “मैं आपकी महिमा कर रहा हूँ,” हम शब्द कह रहे हैं “मैं अपने जीवन में अपनी समस्या, अपनी ज़रूरत से अधिक बड़ा करता हूँ।” मैंने बहुत सारे गीत इन वर्षो में गाए हैं जो प्रभु की महिमा के विषय में कहते हैं बिना यह समझे कि उस शब्द का अर्थ भी क्या है। ऐसा हम बहुत अधिक करते हैं। हम ऐसी बातें कहते और करते भी हैं जो हम वास्तव में समझते भी नहीं हैं। वे केवल वाक्यांश जिन्हें हमने कलीसिया में सिखा है।
हमें प्रभु को महिमा देनी चाहिए और उसका अर्थ है कि हमें उसे और किसी चीज़ से अधिक बढ़ाना चाहिए। जब हम उसकी आराधना व स्तुति करते हैं तो यही करते हैं। हम कह रहे हैं, “आप बहुत बड़े हैं, बहुत महान हैं, कि मैं आपकी आराधना करना चाह रहा हूँ।” परमेश्वर को प्रथम स्थान में रखने के द्वारा हम यह भी कह रहे हैं, “आप मेरी किसी भी ज़रूरत से बड़े हैं।”