प्रार्थना से सामर्थ्य प्राप्त करें

और वह अत्यन्त संकट में व्याकुल होकर और भी ह्रृदय वेदना से [और भी ज्यादा] प्रार्थना करने लगा; और उसका पसीना मानो लोहू की बड़ी बड़ी बून्दों की नाईं भूमि पर गिर रहा था। (लूका 22:44)

जब यीशु का सलीब पर जाने का समय निकट था, उसने अपने मन और भावनाओं में एक बड़े संघर्ष को सहन किया था। उसे परमेश्वर की इच्छा के साथ-साथ परमेश्वर की ताकत की आवश्यकता थी ठीक जैसा कि हमें कई बार होती है। उसने प्रार्थना की और उस ताकत को प्राप्त किया। बाइबल कहती है कि जब उसने प्रार्थना की तो स्वर्गदूत आए और उसकी सेवा की।

कभी भी यह कल्पना मत करें कि जो परमेश्वर आपको करने के लिए कह रहा वह बहुत मुश्किल है। अगर आप परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने के इच्छुक है और आप उससे आपको बल देने के लिए कहते है, तो वो देगा। परमेश्वर को और अन्यों को यह कहते अपने शब्दों को बर्बाद मत करें कि आपका लक्ष्य कितना मुश्किल है। वही ऊर्जा को परमेश्वर से आपके लिए साहस, दृढ़ – निश्चय और ताकत माँगने के लिए इस्तेमाल करें। मैं सोचती हूं जब परमेश्वर एक व्यक्ति के साथ साझेदारी में हमें शामिल करता और उस व्यक्ति को असंभव बातें करने के योग्य बनाता है तो इसके गवाह होना एक सुन्दर बात होती है।

बहुत सी बातें स्वयं मनुष्य के साथ असंभव है, पर परमेश्वर के साथ सभी बातें संभव है। हो सकता है आप इस समय एक संकटमय स्थिति या एक मुश्किल का सामना कर रहे है; अगर आप कर रहे है, तब मैं आपको वो संघर्ष याद करने को कहती हूं जिस में यीशु होकर निकला था। उसने इतना दबाव महसूस किया कि उसका पसीना लहू बन गया। निश्चय ही अगर वह जो उसने किया परमेश्वर की ताकत के साथ कर सकता है, तब आप भी प्रार्थना के द्वारा एक जय को पा सकते है।


आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः परमेश्वर कभी भी जो उसके आपके साथ होते आपकी योग्यता है उससे परे कुछ आपको करने के लिए कभी नहीं देता है।

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