प्रेम के द्वारा पिघला हुआ

प्रेम के द्वारा पिघला हुआ

प्रेम कभी टलता नहीं; (कभी फीका नहीं  पड़ता या कभी अंत नहीं होता)। -1 कुरिन्थियों 13:8

परमेश्वर के प्रकार का प्रेम किसी भी वस्तु के आधिन और सब कुछ जो आता है वह बिना कमज़ोर हुए सह लेता है। वह निर्णय लेता है कि कठिन परिस्थिती में भी हार न मानें। कठोर व्यक्ति जो नीचता में बने रहते हैं क्रमशः प्रेम के द्वारा पिघल सकते हैं।

किसी ऐसे व्यक्ति को प्रेम दिखाना कठिन लग सकता है जो उसकी प्रशंसा नहीं करते हैं या उसके प्रति प्रतिक्रिया भी नहीं दिखाते हैं। ऐसे व्यक्तियों को प्रेम दिखाते रहना कठिन लगता है जो हम से सब कुछ ले लेते हैं जो हम देना चाहते हैं परन्तु कभी भी कुछ भी नहीं देते हैं। परन्तु हम इस बात के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं कि अन्य लोग कैसे व्यवहार करते हैं। केवल इस बात में कि हम कैसे कार्य करते हैं। हमारा प्रतिफल मनुष्य से नहीं परन्तु परमेश्वर से आता है। यहाँ तक कि जब हमारे भले काम भी ऐसे लगते हैं मानो उन पर ध्यान नहीं दिया गया। परमेश्वर उन पर ध्यान देता और उनके लिए हमें प्रतिफल देने की प्रतिज्ञा खुलकर करता है। “ताकि तेरा दान गुप्त रहे, और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।” (मत्ती 6:4)

प्रेम जानता है कि यदि वह हार मानने से मना कर देता है तो अन्ततः वह लड़ाई जीतेगा। “हम भले काम करने में साहस न छोड़ें, क्योंकि यदि हम ढीले न हों तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।” (गलातियों 6:9) प्रेम में चलने से पराजित मत होइए क्योंकि प्रेम कभी हार नहीं मानता

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