जिसको जो वरदान (एक विशेष योग्यता एक दैवीय अनुग्रहपूर्ण निधि) मिला है, वह उसे परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्डारियों (अयोग्यता के बावजूद मसीहियों को प्राप्त वरदान और अद्भुत सामथ्र्य के भंडारी) के समान एक दूसरे की सेवा में लगाए। -1 पतरस 4:10
इस संसार में अविकसित और व्यर्थ गंवाने वाली सामथ्र्य दयनीय है। प्रत्येक व्यक्ति को महान काम करने के लिए बनाया गया है प्रत्येक व्यक्ति अपने क्षेत्र में महान है। हममें से प्रत्येक के पास ऐसी क्षमता है कि हम किसी बात में श्रेष्ठ बने-एक श्रेष्ठ पत्नी, एक श्रेष्ठ माँ, एक श्रेष्ठ बहिन, एक श्रेष्ठ पति, एक श्रेष्ठ पिता, एक श्रेष्ठ व्यापारी, परन्तु हम जो भी करें हमारे पास छोटे विचार या दर्शन नहीं होना चाहिए। छोटी बातें महत्वपूर्ण हैं और हमें छोटी बातों के दिन को कभी तुच्छ नहीं जानना चाहिए परन्तु हमारे पास बड़े विचार, सपनें, और दर्शन होने चाहिए क्योंकि हम एक बड़े परमेश्वर की सेवा करते हैं।
एक छोटा सपना देखकर उसे संपूर्ण रूप से पूरा होते हुए देखने की तुलना में मैं एक बड़ा सपना देखती और उसका आधा हिस्सा पूरा होते हुए देखती हूँ। मैं विश्वास करती हूँ कि जब परमेश्वर ने हम सबको बनाया उसने हम में से प्रत्येक को गठित किया और स्वरूप दिया, जीवन का श्वास हममें फूँका और तब अपना छोटा सा हिस्सा दिया और हममें से प्रत्येक के भीतर डाल दिया। हम में से एक के पास संगीत का वरदान हो सकता है, दूसरे के पास बोलने का वरदान हो सकता है, किसी और के पास लिखने का वरदान हो सकता है। समस्या तब आती है जब हम परमेश्वर द्वारा दिए गए वरदान को लेकर कुछ और करने का प्रयास करते हैं जो कोई अन्य कर रहा है, इसके बजाए कि अपने स्वयं की क्षमता का विकास करें। हम में परमेश्वर का एक अंश है, हम एक गलती नहीं हैं। हमें अपना जीवन पर्दे के पीछे खर्च करने की ज़रूरत नहीं है।
हम बहुत अधिक बूढ़े या बहुत अधिक जवान नहीं हैं। हमारे पास परमेश्वर प्रदत्त सपने और दर्शन हैं। परन्तु जो सपनें जो दर्शन हमें भविष्य के लिए देता है वे संभावनाएँ हैं न कि “रचनात्मक” (इसी रीति से परमेश्वर ने बहुत लम्बे समय पूर्व बातें की)। उसके साथ कुछ भी असंभव नहीं है, परन्तु दृढ़ इच्छा, आज्ञाकारिता, और कठोर परिश्रम और जो परमेश्वर ने रखा है उसे विकसित करने के लिए कठोर परिश्रम के साथ इच्छा और सहयोग भी आवश्यक है।