
मनुष्य मन में अपने मार्ग पर विचार करता है, परन्तु यहोवा ही उसके पैरों को स्थिर करता है। – नीतिवचन 16:9
लोग अक्सर मुझसे पूछते है कि उन्हें कैसे पता चलेगा कि उनके जीवनों के लिए परमेश्वर की इच्छा क्या है। कुछ कई साल एक आवाज को सुनने या अलौकिक दिशा-निर्देश प्राप्त करने के लिए खर्च करते है। पर आपके दिल में परमेश्वर की आवाज को सुनना उससे ज्यादा व्यवहारिक है। मैं उन्हें बाहर कदम बढ़ाने और जानने के लिए कहती हूँ।
परमेश्वर के साथ मेरी यात्रा के आरम्भ में, मैं उसकी सेवा करना चाहती थी। मैंने महसूस किया कि उसने मेरे जीवन में एक बुलाहट रखी है पर मुझे नहीं पता था कि असल में करना क्या है, इसलिए अलग-अलग अवसर जो उपलब्ध थे मैंने उनका प्रयास किया।
उनमें से बहुतों ने मेरे लिए काम नहीं किया, पर मैंने भिन्न-भिन्न को अजमाने का प्रयास जारी रखा जब तक एक वो क्षेत्र नहीं मिला जो मेरे लिए उपयुक्त था। जब मुझे लोगों के साथ परमेश्वर का वचन बाँटने का एक अवसर मिला तो मैं अन्दर से जीवित हो गई। मुझे शिक्षा देने में आनन्द मिला, और यह प्रत्यक्ष था कि परमेश्वर ने ऐसा करने कि मुझे योग्यता दी थी। मैंने जान लिया कि मैंने सेवकाई में मेरे स्थान को पा लिया था।
कई बार परमेश्वर की इच्छा को खोजने का एकलौता ढंग उसका अभ्यास करना है जिसे मैं “बाहर कदम बढ़ाना और जानना कहती हूँ।” अगर आपने एक स्थिति के बारे में प्रार्थना की है और नहीं पता लग रहा कि क्या करना चाहिए, तो विश्वास का एक कदम बढ़ाए। एक गलती हो जाने से मत डरे। बाहर कदम बढ़ाएं और परमेश्वर आपका मार्गदर्शन करेगा।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं आप पर भरोसा करती हूँ और जानती हूँ कि आप मेरे कदमों का मार्गदर्शन करेंगे, इसलिए मैं बाहर कदम बढ़ाने और जो मेरे लिए आपके पास है को जानने से नहीं डरती हूँ।