बाहर निकलने में भयभीत न हो

बाहर निकलने में भयभीत न हो

परन्तु जैसा लिखा है, जो बातें आँख ने नहीं देखी और कान ने नहीं सुनी, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ीं, वे ही हैं जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालो के लिए तैयार की हैं। -1 कुरिन्थियों 2:9

शायद परमेश्वर आप के जीवन में कुछ परिवर्तन के विषय में बात करता रहा है परन्तु आप भयभीत हैं। मैं आपको उत्साहित करती हूँ कि बाहर निकलने में भयभीत न हों। चाहे आप एक गलती भी करें वह संसार का अंत नहीं होगा।

उन दरवाज़ों से होकर चलें जो वह आपके लिए खोल रहा है। आपको किसी दिशा में कुछ कदम उठाने भी पड़ सकते हैं और देखें कि जब आप पास आते हैं तो दरवाज़ा खुलता है जो पहले बंद था। शायद आपको परमेश्वर से थोड़ा सा निर्देश प्राप्त हुआ परन्तु आप पूरा चित्र नहीं देखते हैं। शायद वह कभी भी आपको दूसरा कदम तब तक नहीं दिखाएगा जब तक आप पहला कदम नहीं उठाते हैं। मैं मूर्खतापूर्ण बातें करने की वकालत नहीं कर रही हूँ, परन्तु मैं आपको उत्साहित करती हूँ कि भय में जीने और बुद्धि में जीने का सन्तुलन बनाएँ।

परमेश्वर प्रगतिशील है और मैंने पाया है कि विश्वास भी प्रगतिशील है। मुझ में एक प्रकार का विश्वास हो सकता है इसलिए परमेश्वर की छोटी बाते मुझे करने के लिए दिखाता है। तब मैं जब छोटी बात में विश्वासयोग्य होती हूँ वह मुझे अगला कदम दिखाता है और तब मेरा विश्वास उससे व्यवहार करने के लिए परिपक्व हो चुका होता है।

अपना पूरा जीवन पीछे देखते हुए और यह इच्छा करते हुए मत बिताइए कि आप ने जिन बातों का प्रयास किया है या भिन्न रूप से बातों को किया है। किसी बात के लिए चकित होना एक अकेली बात हो सकती थी, मैं आप से प्रतिज्ञा कर सकती हूँ कि प्रत्येक चीज़ जिसका आप प्रयास करते हैं आप आनंद नहीं उठा पाएँगे। परन्तु कम से कम आपको यह जानने का व्यक्तिगत अनुभव होगा आपको अपना संपूर्ण जीवन यह सुनते हुए बीताना नहीं पड़ेगा कि अन्य सभी लोग क्या कर रहे हैं और आप चकित हो कि यह किस प्रकार का होगा। आप सब चीज़ करने में सक्षम होने नहीं जा रहे हैं। परन्तु परमेश्वर के समय में कदम बाहर रखें, उन बातों के विषय में जिनके विषय में आप महसूस करते हैं कि परमेश्वर आपकी अगुवाई कर रहा हैं।

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