बुरे बीज से बुरी फसल

बुरे बीज से बुरी फसल

वहाँ मण्डली के लोगों के लिये पानी न मिला; सो वे मूसा और हारून के विरूद्ध इकट्ठे हुए। और लोग यह कहकर मूसा से झगड़ने लगे, कि भला होता कि हम उस समय ही मर गए होते जब हमारे भाई यहोवा के सामने मर गए। और तुम यहोवा की मण्डली को इस जंगल में क्यों ले आए हो, कि हम अपने पशुओं समेत यहाँ मर जाएँ?- गिनती 20:2-4

इन पदों को ऊपर लिखने के बाद, मैंने रूक कर तीन बार उन्हें पढ़ा। मैंने पाया कि उन लोगों ने जो कहा उस पर विश्वास करना बहुत कठिन था। जब प्रभु के सामने हमारे भाई मर गए ता, क्या वे भी मर गए होते? ऐसी भयानक बातें भी कैसे कह सकते थे? क्या वे यह कह रहे थे परमेश्वर के साथ स्वतंत्रता पूर्वक रहने से बढ़कर दुःख भोगना, और यातना सहना, और गुलामी में मरना वे पसन्द करते थे?

परमेश्वर का वचन झूठ नहीं बोलता। इसलिये हमें विश्वास करना चाहिये कि यही बातें उन्होंने कही। यह पद मुझ़े बताता है कि उनकी परिस्थिति कितनी बुरी हो गई थी। वे नहीं बदले थे, और वे नहीं बदलते। वे चाहते थे कि सब कुछ उनके लिये हो-और, वे जैसे चाहते थे वैसा काम हो-परन्तु वे केवल कुड़कुड़ाना और शिकायत करने के अलावा और कुछ करना नहीं चाहते थे।

यह पुराना विचार है कि लोग बुरा काम करते हैं और भलाई की अपेक्षा करते हैं। वे परमेश्वर पर कुड़कुड़ाते हैं और ईश्वरीय आशीषों की अपेक्षा करते हैं। यह कैसे हो सकता है? वे अपने विचारों में दोहरेपन और भ्रमित कैसे हो सकते हैं? परंतु मैं ऐसे लोगों को आज भी जानती हूँ। रूबि ने जॉन नामक एक शराबी से विवाह किया था, और जब पीकर आता था, तब वह उससे मारपीट करता था। उस ने उस से तलाक ले लिया और अपने बच्चों को अपने साथ ले गई। दो साल पश्चात रूबि ने पुनः शादी किया। उसने जॉन से विवाह किया, परन्तु यह दूसरा जॉन था। उस के दूसरे पति का नाम रॉल्फ था, वह एक पियक्कड़ था, और उस ने पुनः उस दुःखद कहानी दोहराई। उसके तीसरे जॉन का नाम केन था। यद्यपि उनका नाम अलग अलग था, परन्तु मानों यह ऐसा था कि तीसरी बार भी उसने उसी व्यक्ति से विवाह किया हो।

जब मैं रूबि से मिली तब उस ने कुड़कुड़ाते हुए पूछा, ‘‘क्या कोई अच्छा पुरूष है?’’ हाँ, हालाकी उसने बाद में स्वीकार किया कि उस ने कभी किसी मसीही सभा में भाग नहीं लिया था। इसलिये उसने कभी एक भले मसीही व्यक्ति से मुलाकात नहीं की थी। वह केवल लोगों से पार्टी में मिला करती और उस व्यक्ति के प्रति आकर्षित हो जाती जो पार्टी पसन्द करता था।

मेरा इशारा इस बात पर है कि इस्रालियों को दोष देना बहुत आसान है। क्योंकि बाइबल उनकी कहानी हमें बहुत स्पष्ट रीति से बताती है। पौलुस ने मरूभूमि दमन का वर्णन किया और अपने पाठकों से कहा, कि इस प्रकार से कभी शिकायत न किया करें। ऐसा न हो कि वे भी संपूर्ण रीति से नाश हो जाएँ। इसलिये यह चीजें उन के लिये एक चित्र के रूप में काम करतीं है, मानो यह एक उदाहरण या चेतावनी हों। यह इसलिये लिखे गए कि हम सही निर्देशों के द्वारा सही कार्य करें। जिन के समय का उम्र का अन्त आ गया। पौलुस ने लिखा, और न तुम कुड़कुड़ओ, जिस रीति से उन में से कितने कुड़कुड़ाए, और नाश करनवाले के
द्वारा नाश किये गए। परन्तु ये सब बातें, जो उन पर पड़ीं, दृष्टान्त के रीति पर थीं: और वे हमारी चेतावनी के लिये जो जगत के अन्तिम समय में रहते हैं लिखी गई हैं। (1 कुरिन्थियों 10:10-11)।

पौलुस ने लिखा, यह कहानी आपको ‘‘सावधान और सही कार्य करने के लिए सहायता देने के लिए’’ लिखा है। इस्राएलियों के कुड़कुड़ाने के समान जब तक आप भी ऐसा करते रहेंगे, आप भी वही परिणाम प्राप्त करेंगे। जब तक आप रूबि के समान जीते हैं तो ऐसा ही विनाशकारी परिणाम आप भी देखेंगे। यद्यपि मैंने रूबि का उदाहरण दिया ऐसे दोहराने के अवसर मेरे जीवन में भी आए थे। शायद आप ऐसे व्यक्ति हों जिसने अपना चेक भूजाने से पहिले ही खर्च कर दिया हो। क्या आप खाने की बुरी आदतों के द्वारा परमेश्वर की अनादर करते हैं? आप की परिस्थिति चाहे कुछ भी हो, जब तक आप ऐसे बुरी आदतो में बने रहते हैं तो आप बुरे परिणाम प्राप्त करेंगे।

जब आप नकारात्मक परिणामों को पाने से थक जाते हैं, जब आप शैतान का भोजन बनने और यातना पाने से थक जाते हैं, तब आप बुरे परिवर्तित होने के लिये तैयार होते हैं। वे लोग प्रतिज्ञा देश के बाहर मरूभूमि में मर गए क्योकि उन्होंने कभी नहीं सिखा। आपके पास अवसर है, आप उनके बारे में जानते हैं, और आप ये भी जानते हैं कि पवित्र आत्मा चाहता है कि आप परिवर्तित हों।

आप बदल सकते हैं। आप सकारात्मक विचारों को सोचने के लिये आप परमेश्वर से सहायता माँगने के द्वारा शुरू कर सकते हैं, क्योंकि सकारात्मक विचार सकारात्मक कार्यों को उत्पन्न करते हैं। एक बार जब आपका स्वभाव बदल जाता है, आप का जीवन बदल जाता है। यह आसान नहीं है, परन्तु यह साधारण हैं।

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प्रेमी पवित्र आत्मा, स्वस्थ और सकारात्मक और अच्छे विचार सोचने के लिये मेरी सहायता कर। एक अच्छा स्वभाव उत्पन्न करने के लिये मेरी सहायता कर जो तुझे प्रसन्न करे और मुझे पूर्ण और संपूर्ण विजय तक पहुँचाए। यीशु मसीह के द्वारा माँगती हूँ। आमीन्।।

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