“मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूँ, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ; मैं तुझे दृढ़ करूँगा और तेरी सहायता करूँगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्भाले रहूँगा। क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा, तेरा दाहिना हाथ पकड़कर कहूँगा, “मत डर, मैं तेरी सहायता करूँगा।” -यशायाह 41:10,13
कुछ समय पूर्व प्रभु ने मुझ से ये शब्द कहे, “हर बात के विषय में प्रार्थना करो और भयभीत मत हो।” उसने मुझ से यह तब कहा, जब मैं एक व्यर्थ भय की भावना रखती थी कि एक नया नाई जिसके पास मैं जा रही इसका काम अच्छी रीति से नहीं करेगा।
पवित्र आत्मा ने मुझ से कहा, “भयभीत न हो, इसके विषय में प्रार्थना करो। प्रार्थना करो कि परमेश्वर उस नाई को अभिषेक दे ताकि वह आपकी ज़रूरत मुताबिक कार्य करने के योग्य हो सके।” तब अगले कुछ ही हफ़्तों में उसने मुझे भय बनाम प्रार्थना के मध्य के अंतर को दिखाना जारी रखा। उनमें से बहुत सी बातें छोटे क्षेत्रों से संबंधित थी, जिसमें भय मेरे जीवन में हावी हो गया और समस्याएँ पैदा करने लगा। उसने मुझे दर्शाया कि प्रत्येक बात में चाहे वह बड़ा हो या महत्वपूर्ण हो या कितना भी छोटा या कम महत्वपूर्ण हो, इसका हल प्रार्थना करना था।