मध्यस्थता का महत्व

मध्यस्थता का महत्व

मैं ने उन में ऐसा मनुष्य ढूँढ़ना चाहा जो बाड़े को सुधारे और देश के निमित्त नाके में मेरे सामने ऐसा खड़ा हो ….. यहेजकेल 22:30

मध्यस्थता करने का अर्थ है किसी और के लिए नाके में खड़ा होना, परमेश्वर के सिंहासन के सामने उसका पक्ष रखना। यदि किसी कारण से लोगों के परमेश्वर के साथ के रिश्ते में दरार आ जाती है, तो हमें खुद को उस दरार में रखने और उनके लिए प्रार्थना करने का विशेषाधिकार प्राप्त हुआ है। हम उनके लिए मध्यस्थता कर सकते हैं और उम्मीद रख सकते हैं कि वे प्रतीक्षा करते समय हम उन्हें सांत्वना मिलते और प्रोत्साहित होते हुए देखें। हम उनकी जरूरत को पूरा करने के संबंध में उनके लिए समय पर सफलता की भी उम्मीद रख सकते हैं।

मुझे नहीं पता कि अगर लोग मेरे लिए मध्यस्थता नहीं करते तो मैं क्या करती। मैं परमेश्वर से विनती करती हूं कि वह मुझे मेरे लिए और उस सेवकाई की पूर्ति के लिए, जिसके लिए परमेश्वर ने मुझे बुलाया है, मध्यस्थता करने के लिए लोग दें। हमें एक दूसरे की मध्यस्थता की प्रार्थनाओं की आवश्यकता है।

दूसरों के लिए प्रार्थना करना बीज बोने के समान है। यदि हमें फसल काटना है तो हमें बीज बोना चाहिए (गलातियों 6:7)। मध्यस्थता के माध्यम से अन्य लोगों के जीवन में बीज बोना हमारे अपने जीवन में फसल काटने का एक निश्चित तरीका है। हर बार जब हम किसी और के लिए प्रार्थना करते हैं, तब हम परमेश्वर को न केवल उस व्यक्ति के जीवन में बल्कि अपने जीवन में भी काम करने के लिए आमंत्रित कर रहे होते हैं।

मध्यस्थता उन सबसे महत्वपूर्ण तरीकों में से एक है जिसके माध्यम से हम यीशु मसीह द्वारा इस पृथ्वी पर शुरू की गयी सेवकाई को आगे बढ़ाते हैं।


हम दूसरों के लिए प्रार्थना करने द्वारा परमेश्वर का सामर्थ्य उनके जीवन में मुक्त कर सकते हैं।

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