व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिए कि जो कुछ उसमें लिखा है उसके अनुसार करने की तू चैकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफ़ल होंगे; और तू प्रभावशाली होगा। -यहोशू 1:8
अधिकांश लोग परमेश्वर के वचन में गहराई से नहीं उतरते हैं। परिणामस्वरूप वे इस में भ्रम में पड़ जाते हैं कि वे विजयी जीवन जीने वाले सामर्थी मसीही क्यों नहीं है। सच्चाई यह है कि उनमें से अधिकतर लोग सचमुच में परमेश्वर का वचन पढ़ने में स्वयं इतना प्रयास नहीं करते हैं। शायद वे बाहर जाते हैं और दूसरों को प्रचार करते और सिखाते सुनते होंगे। हाँ, वे संदेशों की कैसेट सुनते होंगे या कभी कभी बाइबल पढ़ते होंगे परन्तु वे सचमुच में वचन को अपने जीवन का मुख्य हिस्सा बनाने के लिए समर्पित नहीं हैं। जिसके विषय में सोचने का समय भी शामिल है।
शरीर वास्तव में सुस्त है और बहुत से लोग बिना कारण कुछ चाहते हैं (अपनी तरफ से बिना प्रयास किए)। फिर भी यह सचमुच में कार्य करने का सही तरीका नहीं है। एक व्यक्ति वचन से वह प्राप्त करेगा जितना वह उसमें डालना चाहता है।
यदि आप अपने व्यवहारों में सफ़ल और समृद्ध बनना चाहते हैं, बाइबल कहती है कि आपको अवश्य ही परमेश्वर के वचन पर दिन रात मनन करने की ज़रूरत है। आप कितना समय वचन पर सोचते हुए व्यतीत करते है? यदि आपके जीवन के किसी भी क्षेत्र में समस्या है तो इस प्रश्न का ईमानदार उत्तर है कि आप क्यों को बंद कर दिजीए।