मसीह के समान बनो

मसीह के समान बनो

परमेश्वर ने कहा, हम (पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा) मनुष्य को अपने स्वरूप 22 के अनुसार अपनी समानता में बनाएँ।- उत्पत्ति 1:26

जब परमेश्वर ने कहा, “आओ हम मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाएँ,” तो यह स्वरूप चरित्र के स्वभाव को दर्शाता है। उसका तात्पर्य था कि हम उसकी प्रकृति, उसके स्वभाव को अपनाएँ, जो उसके पुत्र यीशु में प्रकट हुआ। कुलुस्सियों 1:15 में, पौलुस हम से कहता है कि यीशु “अदृश्य परमेश्वर का सच्चा प्रतिरूप है (अदृश्य का दृश्य प्रतिनिधित्व); वह सब सृष्टि में पहिलौठा ठहरा।” विश्वासियों के रूप में हमें उसके स्वरूप और समानता में रूपांतरित होना है।

प्रत्येक विश्वासी का सबसे महान लक्ष्य और निश्चित ही हम में से उन सबका जो परमेश्वर के द्वारा नेतृत्व के पदों पर उपयोग किए जाना चाहते हैं निश्चित ही मसीह के समान होना चाहिए। हमें परिस्थितियों के साथ व्यवहार करना है और लोगों के साथ उस प्रकार से व्यवहार करना चाहिए जैसे यीशु करता था। यह हमारा उद्देश्य होना चाहिए। यीशु को हमारा आदर्श बनाना चाहिए।

यूहन्ना 13:15 में उसने अपने शिष्यों से, एक सेवक के समान उनके पैर धोने के पश्चात् कहा, मैंने तुम्हें एक उदाहरण दिया है ताकि तुम (बदले में) ऐसा करो जो मैंने तुम्हारे साथ किया है।” और पतरस 1 पतरस 2:21 में हमसे कहता है, कि “तुम इसी के लिए बुलाए भी गए हो क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिए दुःख उठाकर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है, कि तुम भी उसके पदचिन्ह पर चलो।” प्रत्येक विश्वासी की उच्च बुलाहट यीशु मसीह के स्वरूप में रूपांतरित होना है।

परमेश्वर हम में से प्रत्येक के साथ तब तक काम करने जा रहा है, जब तक हम उस स्थान पर नहीं पहुँच जाते जहाँ हम यीशु के समान जीवन की प्रत्येक परिस्थिती में व्यवहार नहीं करते। जब तक हम उस आत्मा के फल के समान परिणाम नहीं लाते जो उसने हमें दिया है।

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