क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते है। – मत्ती 7:14
परमेश्वर के पीछे चलने का अर्थ “सकरे मार्ग” पर चलना है। इसका अर्थ विरोध का सामना करना है। यहां पर कुछ बातें है जो मैंने चलते रहने में सहायता के लिए सीखी हैः
- परमेश्वर का वचन मेरे जीवन के लिए सीमा है। जब तक मैं पवित्र वचन द्वारा रखे दिशा-निर्देशों में रहती हूँ मेरे पास यह जानने के लिए समझ और बुद्धि होगी कि मुझे क्या करने की आवश्यकता और जो इसे करने के लिए चाहिए, वह मसीह में, मेरे पास है। परमेश्वर वफादार है और उसके वचन के लिए सच्चा है।
- जो मैंने आरम्भ किया उसको पूरा करने का मुझे इच्छुक होना है। परमेश्वर समर्पित लोगों को इस्तेमाल करता है जो भावनाओं के द्वारा अगुवाई नहीं किए जाते। जब कुछ नया होता है तो आरम्भ में उत्साहित होना आसान होता है, पर वह जो समाप्ति रेखा तक पहुँचता वो वह होता है जो वहां तब तक रहा जब बाकी कोई तब तक उत्साहित ना रहा था।
- जब मेरी सहायता के लिए यहां कोई नहीं है, तब मैं यीशु को अच्छी तरह जान सकता हूं। परमेश्वर के लिए जीवन व्यतीत करने का सकरा मार्ग और संसार के ढंगो के सदृश ना होना अक्सर अकेलेपन में ले जाता है। पर इसके बदले मसीह के साथ वास्तविक निकटता को पाना संसार से कभी भी कुछ प्राप्त करने से ज्यादा मूल्यवान है।
मैं विश्वास करती हूँ कि यह सच्चाईयां, जैसे इन्होंने मेरी सहायता की है आपकी भी सहायता कर सकती है। हमेशा याद रखें कि यद्यपि कि यहां पर विरोध होगा, सकरे मार्गों पर चलने का ईनाम पूरी तरह से मूल्यवान है।
आरंभक प्रार्थना
पवित्र आत्मा, मैं सकरे मार्ग पर, मसीह में जीवन की राह पर चलने की इच्छा करती हूँ। मुझे आपकी सीमाओं के अन्दर रखें और मुझे दिखाएं कि कैसे जीवन व्यतीत करना है ताकि मैं अंत तक कायम रह सकूँ।