क्योंकि परमेश्वर की जितनी प्रतिज्ञाएँ हैं, वे सब उसी [मसीह] में ‘हाँ’ के साथ हैं। इसलिये उसके द्वारा आमीन (ऐसा ही हो) भी हुई कि हमारे द्वारा परमेश्वर की महिमा हो। 2 कुरिन्थियों 1:20
बाइबल में कई जगहों पर, उदाहरण के लिए 1 कुरिन्थियों 10:4 में, यीशु को चट्टान के रूप में संदर्भित किया गया है। प्रेरित पौलुस हमें कुलुस्सियों 2:7 में बताता है कि हमें यीशु में जड़ पकड़नी हैं और उस में बढ़ते जाना है।
यदि हम अपनी जड़ों को यीशु मसीह के चारों ओर लपेटते हैं, तो हम अच्छे आकार में हैं। लेकिन अगर हम उन्हें किसी अन्य चीज या किसी और के इर्द-गिर्द लपेट देते हैं, तो हम मुश्किल में पड़ जाते हैं।
कोई भी व्यक्ति या वस्तु यीशु की तरह ठोस और भरोसेमंद नहीं होती है। इसलिए लोगों को यीशु की ओर इंगित करना महत्वपूर्ण है। मनुष्य हमेशा असफलता के भागी होते हैं। लेकिन यीशु मसीह ऐसा नहीं है। आपकी आशा पूरी तरह और अपरिवर्तनीय रूप से उसी में लगाएं रखें। न मनुष्य में, न परिस्थितियों में, न किसी वस्तु में और न किसी भी चीज में।
यदि आप आपकी आशा और विश्वास को आपके उद्धार की चट्टान पर नहीं रखते हैं, तो आप निराशा की ओर बढ़ रहे हैं, जो उदासी और तबाही की ओर ले जाती है। हमें हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम पर इतना भरोसा होना चाहिए कि हमारे खिलाफ चाहे कुछ भी हो, तौभी हम गहराई से जानते हैं कि वह हमारे साथ है और वह हमें कभी निराश नहीं करेगा।
हम मसीह के बगैर अपनी क्षमता में शून्य हैं। परमेश्वर के बिना हम लाचार हैं; उसके द्वारा हमारे लिए कुछ भी असंभव नहीं है।