यीशु की ओर देखें

और विश्वास के कर्ता [हमारे विश्वास के लिए पहला प्रोत्साहन देनेवाले] और सिद्ध करने वाले [इसे परिपक्वता और पूर्णता में ले जाने वाले] यीशु की ओर [ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूर] ताकते रहें। (इब्रानियों 12:2)

परमेश्‍वर की इच्छा के बारे में बहुत सी बातें जो हम चाहते और जानना चाहते हैं, वो उसके वचन के पन्नों में स्पष्ट हैं। हालांकि, हमारे पास कुछ विशिष्ट प्रश्न हो सकते हैं जिनका उत्तर पवित्रशास्त्र में हमारे लिए नहीं है। अगर मैं किसी ऐसी चीज के बारे में प्रार्थना कर रही हूं जिसका परमेश्वर के वचन में स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, अगर मुझे ऐसे किसी निर्णय का सामना करना पड़ रहा है जिसके बारे में मुझे एक अध्याय और वचन नहीं मिल रहा है, जो मुझे आगे ले जाएंगे, तो मैं इस तरह से प्रार्थना करती हूं:

“परमेश्वर, मैं यह चाहती हूं, लेकिन मैं अपनी इच्छा से अधिक आपकी इच्छा चाहती हूं। इसलिए यदि मेरा अनुरोध आपके समय में नहीं है, या यदि मैं जो मांग रही हूं वह वो नहीं जो आप मेरे लिए चाहते हैं, तो कृपया मुझे न दें। आमीन।”

हम कुछ ऐसा करने के लिए भावनात्मक रूप से प्रभावित हो सकते हैं जो ऐसा लगता है कि यह परमेश्वर की ओर से है, लेकिन जब हम ऐसा करना शुरू करते हैं, तो हम यह पा सकते हैं कि शायद यह केवल एक अच्छा विचार है, जिसे सफल बनाने के लिए परमेश्वर की सहायता आवश्यक है। लेकिन परमेश्वर को किसी ऐसी बात को खत्म करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता जो उसने शुरू नहीं की थी। हम उन परियोजनाओं के बारे में प्रार्थना कर सकते हैं जो हम शुरू करते हैं, लेकिन परमेश्वर से असंतुष्ट होने का कोई मतलब नहीं है यदि वह हमारे लिए उन्हें खत्म ना करें। वह उन चीजों को खत्म करने के लिए बाध्य नहीं है जो उसने आरंभ नहीं की हैं! बहुत सावधान रहें जब आप कुछ शुरू करते हैं केवल इसलिए क्योंकि यह एक अच्छा विचार है। अच्छी चीजें अक्सर सबसे अच्छी चीजों की दुश्मन होती हैं जो परमेश्वर हमारे लिए रखते हैं। जब कोई विचार आपके पास आता है, तो समय निकालकर परमेश्वर से परामर्श करें ताकि आप देख सकें कि आपकी आत्मा वास्तव में उसके प्रति कार्रवाई करने की गवाह है।


आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः सुनिश्चित करें कि आपके अच्छे विचार परमेश्वर के विचार हैं!

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