यीशु के समान सहन करना

यीशु के समान सहन करना

और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिसने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। – इब्रानियों 12:2

यहां पर आम तौर पर हर बात के दो पहलू होते है। सलीब के भी दो हैः एक सलीब चढ़ाए जाने का पक्ष और एक पुनरूत्थान का पक्ष। यीशु को दूसरी तरफ के पक्ष को पाने के लिए पहले को सहन करना पड़ा था। पर अगर उसने सहन ना किया होता, तब हम एक उद्धारकर्ता के बिना और पापों की क्षमा के बिना होते।

इब्रानियों 12:2 कहती है कि यीशु ने, सलीब की दूसरी तरफ – पुनरूत्थान के ईनाम को प्राप्त करने के आनन्द के लिए दर्द को सहन किया। यीशु के समान ही, हमें मुश्किल बातों को सहन करना होगा। सहन करने के लिए मेरी परिभाषा यह है, “शैतान को मात देने के लिए; परीक्षा को जो भी यह हमारे जीवनों में करने जा रही है उसे करने के लिए पर्याप्त समय तक स्थिर रहें और सलीब के एक ओर से दूसरी ओर तक पहुंचें।”

चाहे हम किसी अनपेक्षित परिस्थिति से टकराए हों, पीड़ित हुए हों – कुछ गलत करने की वजह से या जो सही है वह करते हुए प्रलोभन और पाप का विरोध करने से, हमें इन चीजों से गुजरना होगा। लेकिन कठिन समय के दूसरी ओर आपका इंतजार करता हुआ पुरस्कार प्राप्त करने वाला आनंद है – अच्छा परिणाम।

आज, जिस ढंग से यीशु ने परीक्षाओं का सामना किया उन के लिए उत्साहित हों। वह अपने आगे के आनन्द को जानता था और उसने अंत तक सहन किया। उसने आपको भी वैसा ही करने की सामर्थ्य दी है।


आरंभक प्रार्थना

परमेश्वर, मैं यीशु के समान सहन करना चाहती हूँ। मुझे उस ईनाम को प्राप्त करने के आनन्द का एक दर्शन पाने में सहायता करें जो मेरा इंतजार करता है ताकि मैं कोई भी परीक्षा जो सामने आती है उसको आपके अनुग्रह के द्वारा सहन कर सकूँ।

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