
परन्तु वचन पर चलनेवाले बनो [संदेश का पालन करो], और केवल सुननेवाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते [सत्य के विपरीत तर्क करने द्वारा] हैं। याकूब 1:22
परमेश्वर के साथ घनिष्ठ संबंध में रहने का एक महत्वपूर्ण भाग वचन पर चलनेवाले बनना सीखना है, न कि केवल वचन को सुनने वाले। यदि हम वचन को पढ़ते और सुनते हैं, लेकिन उसके द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने की उपेक्षा करते हैं, तो हम अपने जीवन के लिए परमेश्वर के सर्वोत्तम से बहुत दूर रहेंगे।
यह परमेश्वर के वचन का सत्य है — और केवल यही सत्य — जो हमें स्वतंत्र करेगा। उस सत्य को हमारे जीवन में कार्य करने के लिए, यह आवश्यक है कि हम इसे व्यवहार में लाएं। उसके वचन की आज्ञाकारिता वह है जो शांति, आनंद और एक ऐसा जीवन प्रदान करती है जो कई तरह से आशीषित होता है।
लब्बोलुआब यह है: परमेश्वर आपका सहायक है। वह आपका चंगाई दाता है। उसके पास उसके वचन में आपके जीवन के लिए एक व्यक्तिगत योजना है। जितना अधिक आप उसके वचन को पढ़ते हैं, उसका अध्ययन करते हैं, और उसका पालन करते हैं, उतना ही अधिक आप जान सकते हैं कि वह योजना क्या है और फिर एक बार में एक कदम आगे बढ़ना शुरू कर सकते हैं। वचन का पालन करने के लिए निर्णायक निरंतरता तथा दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है—यह एक दैनिक प्रक्रिया है। जितना अधिक आप परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं, उतना ही आप उससे प्रेम करना सीखते हैं। कुछ अद्भुत होता है जब आप परमेश्वर के वचन में पाए गए निर्देशों और वादों को जान जाते हैं। आप हमेशा और अधिक के लिए उस वचन पर वापस जाना चाहेंगे!
यदि आप प्रभु की आज्ञा के अनुसार चलने का निश्चय करेंगे तो आप विजय को प्राप्त कर पाएंगे।