वचन में जीवन है

वचन में जीवन है

फिर उसने उनसे कहा, “चैकस रहो कि क्या सुनते हो। जिस नाप से तुम नापते हो उसी से तुम्हारे लिए भी नापा जाएगा, और तुम को अधिक दिया जाएगा।” – मरकुस 4:24

यह बोने और काटने के सिद्धान्त के समान है। यीशु मसीह में हम बोते हैं उसी समान हम फसल के समय काटेंगे। प्रभु मरकुस 4:24 में कह रहा है कि जितना अधिक समय मैं और आप व्यक्तिगत रूप से उस वचन के मनन और अध्ययन में व्यतीत करते हैं जिसे हम सुनते हैं उतना ही अधिक हम प्राप्त करेंगे।

“क्योंकि कोई वस्तु छिपी नहीं, परन्तु इसलिए है कि प्रगट हो जाए; और न कुछ गुप्त है, पर इसलिए है कि प्रगट हो जाए।” (मरकुस 4:22)

यह पद और ऊपर लिखित पद निश्चित रूप से हम से कहता है कि वचन अपने आप में अद्भुत ख़जाना, सामर्थी जीवन दायक भेद की बातें जो परमेश्वर हम पर प्रगट करना चाहता है छुपाए हुए हैं। वे उन पर प्रगट होती हैं जो मनन करते हैं, अध्ययन करते हैं, खोज करते हैं, उसके विषय में सोचते, मानसिक रूप से अभ्यास करते और परमेश्वर के वचन को बुदबुदाते हैं। परमेश्वर के वचन को शिक्षिका के रूप में मैंने व्यक्तिगत रूप से इस सिद्धान्त की सच्चाई को जानती हूँ। ऐसा दिखता है कि परमेश्वर जो मुझे धर्मशास्त्र के एक वचन से दिखा सकता है उसका कोई अन्त नहीं है। मैं एक बार उसका अध्ययन करूँगी और एक बात पाऊँगी और दूसरी बार कुछ नया देखूँगी जो मैंने पहले ध्यान भी नहीं दिया था।

प्रभु अपने भेदों को उन पर प्रगट करता रहता है जो उनके वचन के प्रति गंभीर हैं। इस प्रकार के व्यक्ति न बनें जो हमेशा किसी और के प्रकाशन को जीना चाहते हैं। वचन का अध्ययन स्वयं करें और सत्य के साथ आपके जीवन को आशीषित करने के लिए पवित्र आत्मा को अनुमति दें।

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