वस्तुओं से अधिक लोग महत्वपूर्ण हैं

वस्तुओं से अधिक लोग महत्वपूर्ण हैं

तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्तुओं से प्रेम रखो।  यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उसमें पिता का प्रेम नहीं है। -1 यूहन्ना 2:15

एक दिन मेरी पुरानी नौकरानी हमारे लिए प्रेशर कुकर में भोजन बना रही थी, उसने कुछ गलत किया और कुकर का वाल्व फट गया और भाव, शोरवा, आलू, और गाजर और सब कुछ हवा की ओर जाने लगा। चुले के ऊपर छत पे लगा पंखा पूर्ण गति पर था और जिसके कारण सारी सब्जी रसोई घर के दीवारों पर, छत पर, फर्नीचरों और नौकरानी पर भी फैल गई। जब मैं काम के बाद घर आई तो वह रसोई घर के एक कोने पर रोती हुई बैठी थी। वह बहुत बुरी दिख रही थी और मैंने सोचा कि उसने कुछ बुरा समाचार पाया है। मैंने अन्ततः उसे अपने से यह कहते हुए पाया, कि क्या हुआ था…। जब वह कह चुकी थी तो मैंने हँसना प्रारंभ किया। उसी दौरान डेव भी भीतर आए और मैं और वो, दोनों बहुत बुरी तरीके से हँस रहे थे ।

उसने कहा, ‘‘मैंने आपके किचन को बर्बाद कर दिया!”

मैं उससे यह कहते हुए स्मरण करती हूँ, ‘‘किचन को बदला जा सकता है, परन्तु आप नहीं। तुम किचन से अधिक महत्वपूर्ण हो। परमेश्वर का धन्यवाद हो कि तुम्हें अधिक चोट नहीं पहुँची।” यह मेरे जीवन में एक ऐसा समय था जब मैं इस प्रकार से प्रतिक्रिया नहीं देती। इससे पहले कि मैं यह सीखती कि वस्तुओं से अधिक लोग महत्वपूर्ण हैं, मैं क्रोधित हो जाती और ऐसी बातें कहती, जो उस नौकरानी को मूर्ख महसूस कराती और दोषी ठहराती है।

यदि हम लोगों से प्रेम करते हैं तो परमेश्वर वस्तुओं को बदल सकता है। परन्तु हम यदि अत्यधिक रूप से वस्तुओं से प्रेम रखते हैं, तो हम लोगों को और उन्हें कभी भी प्रतिस्थापित कर सकते है।

Facebook icon Twitter icon Instagram icon Pinterest icon Google+ icon YouTube icon LinkedIn icon Contact icon