अपने संकट में मैंने यहोवा परमेश्वर को पुकारा; मैंने अपने परमेश्वर की दोहाई
दी; और उसने अपने मन्दिर (ईश्वरीय निवास स्थान) में से मेरी बातें सुनी; और मेरी दोहाई उसके पास पहुँचकर उसके कानों में पड़ी। -भजन संहिता 18:6
परमेश्वर आपसे बहुत प्यार करता है और आपकी सहायता करना चाहता है परन्तु आपको उससे ऐसा करने कहने की ज़रूरत है। हाल ही में एक व्यक्ति ने मुझ से कहा कि जब वह छलकना महसूस करता है तो वह एक हाथ को स्वर्ग की ओर उठाकर कहता है, “आओ यीशु, और मुझे स्वीकार करो।” यीशु आपके हृदय की पुकार को सुनता है। इसलिए सब कुछ अपने आप करने का प्रयास बंद करो और उसकी सहायता माँगो। आप नहीं सोचते होंगे कि परमेश्वर आपके जीवन की छोटी छोटी बातें जैसे स्वास्थ्य की चिंता करता है परन्तु वह चिंता करता है। वह हर एक की चिंता करता है जो आपसे संबंधित है चाहे वह बड़ा हो या छोटा।
वह चाहता है कि आप स्वस्थ्य और पूर्ण रहे, यदि आप उसे ऐसा करने देंगे। उससे प्रार्थना करें कि जो आपकी आत्मिक सामर्थ्य पाने में आपकी ज़रूरत है उसे पाने में आपकी सहायता करे, ताकि आप अपने जीवन में किसी भी अनिवार्य परिवर्तन को लाए। परमेश्वर का अनुग्रह हमेशा उपलब्ध है। जब हम जो सही है उसे करने का चुनाव करते हैं और उसे सामर्थ्य देने के लिए आसरा रखते हैं उसकी सामर्थ्य हमें अनुकरण करने और विजय का अनुभव करने के लिए सक्षम बनाती है।