“चुप हो जाओ, और जान (पहचान और समझ) लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ। मैं जातियों में महान हूँ। मैं पृथ्वी भर में महान हूँ।” -भजन संहिता 46:10
जब सभी घोड़े उस पट्टे के द्वारा आगे चलाए जाते हैं जो उनके मुँह पर बाँधे हुए होते हैं। कुछ घोड़े अपने कान अपने स्वामी की विश्वसनीय आवाज़ की ओर अगुवाई के लिए लगाए रहते हैं। इसे लगाम वाला कान कहते हैं। एलिय्याह को परमेश्वर से सुनने की आवश्यकता थी और सौभाग्य से उसके पास एक ऐसा कान था। उसने हाल ही में 450 झूठे भविष्द्वक्ताओं को ताकत की लड़ाई में हराया था। अब रानी इजिबेल ने एक दिन के भीतर एलिय्याह को मार डालने की धमकी दी थी। एलिय्याह अपना प्राण लेकर भागा, एक गुफ़ा में छुप गया और परमेश्वर से प्रार्थना किया कि इजिबेल उसे पाए इससे पहले वह मरना चाहता है। तब प्रभु ने अपना वचन एलिय्याह के पास भेजा और कहा, “तुम यहाँ क्या कर रहे हो?” एलिय्याह ने उन धमकियों और घटनाओं को पुनः याद किया।
इसलिए परमेश्वर ने एक बार फिर से अपनी उपस्थिती का आह्वान एलिय्याह को कराया और उससे कहा, कि उसके सामने पर्वत पर खड़ा हो। एक मज़बूत आन्धी पर्वतों पर से उसके पास से गुज़री और चट्ठानों को टुकड़ों में बाँट दिया। परन्तु प्रभु उस हवा में नहीं था। हवा के पश्चात् एक भयंकर भूकम्प आया, परन्तु प्रभु उस भूकम्प में भी नहीं था। भूकम्प के पश्चात् आग लगी, परन्तु प्रभु आग में भी नहीं था। आग के पश्चात् एक “शांत और धीमी आवाज़” आई तब परमेश्वर ने एलिय्याह से अपने छिपे हुए स्थान को छोड़ देने के लिए कहा और जाकर अगले राजा सिरिया पर और इस्राएल पर राज करने के लिए अगले राजा का अभिषेक करने और अपने स्थान पर दूसरे नबी का अभिषेक करने के लिए कहा (1 राजाओं 16-19 देखिए)। एलिय्याह ने उस धीमि और शांत आवाज़ प्रभु की आवाज़ की आज्ञा का पालन किया।
एलिय्याह की कहानी हमें यह समझने में सहायता करती है कि जब हमें दिशा ज्ञान की ज़रूरत होती है तो परमेश्वर को इस प्रकार सुनना चाहिए। परमेश्वर ने एलिय्याह को एक चमक-धमक वाली घटना के द्वारा पुनः निश्चय नहीं दिलाया यद्यपि उसने पहले से प्रमाणित कर दिया था कि उसने ऐसा करने के लिए योग्य है। परमेश्वर ने अपने नबी से एक शांत और धीमी आवाज़ में बात की। और यह भी एक तरीका जिससे आज भी परमेश्वर हम से बातें करता है। परमेश्वर अपनी संतानों से सीधे उनके हृदयों में फुसफुसाने के द्वारा संवाद बनाने का चुनाव करता है।