हमारे परमेश्वर यहोवा की मनोहरता हम पर प्रगट हो, तू हमारे हाथों का काम हमारे लिये दृढ़ कर, हमारे हाथों के काम को दृढ़ कर। —भजन संहिता 90:17
सांसारिक कृपा और अलौकिक कृपा में अंतर है। सांसारिक कृपा अर्जित की जा सकती है, लेकिन अलौकिक कृपा अर्जित नहीं की जा सकती है।
यदि आप पर्याप्त और लंबे समय तक कड़ी मेहनत करते हैं, तो आप ऐसे लोगों को पाएंगे जो अधिकतर समय आपको पसंद करेंगे और आपको स्वीकार करेंगे। लेकिन उस स्वीकृति को उसी तरह बनाए रखा जाना चाहिए जिस तरह से इसे प्राप्त किया गया था। लोगों की कृपा पाने के लिए हर समय सारी सही बातें कहना और उन बातों को पूरा करना बंधन का एक रूप है।
यदि हम लोगों के बजाय परमेश्वर का अनुसरण करना चुनेंगे, तो वह हमें उसकी कृपा प्रदान करेगा। यह उसके अनुग्रह का एक उपहार है और इसे अर्जित नहीं किया जा सकता है। परमेश्वर नहीं चाहता कि हम अपना समय और ऊर्जा, कृपा अर्जित करने की कोशिश में बर्बाद करें; वह चाहता है कि हम इसके लिए उस पर भरोसा रखें। जब परमेश्वर हमें उसकी कृपा प्रदान करता है, तब आश्चर्यजनक चीजें घटित होने लगती हैं। आपके लिए अवसर के द्वार खुलेंगे। आप उन लाभों और आशीषों को प्राप्त करेंगे जिन्हें आपने अर्जित नहीं किया था या जिनके योग्य आप नहीं है।
हम परमेश्वर की अलौकिक कृपा पाने के लिए प्रतिदिन प्रार्थना कर सकते हैं। यह परमेश्वर का उपहार है जो हमारे विश्वास के द्वारा अनुग्रह से प्राप्त होता है। आगे बढ़कर मांगे, और मांगते रहे और आप इसे पाओगे!
जब हम जानते हैं कि हमारे पास जो कुछ भी है और जिसका आनंद हम ले रहे हैं, वह परमेश्वर की ओर से एक उपहार है, जो हम पर उसकी अलौकिक कृपा का परिणाम है, तब यह कहने के अलावा हम कुछ भी नहीं कर सकते कि, “प्रभु, धन्यवाद।”