विश्वास करने में आनंद और शांति पाई जाती है

विश्वास करने में आनंद और शांति पाई जाती है

परमेश्वर जो आशा का दाता है तुम्हें विश्वास करने में सब प्रकार  के आनंद और शांति से परिपूर्ण करे, कि पवित्र आत्मा की  सामथ्र्य से तुम्हारी आशा बढ़ती जाए। -रोमियों 15:13

आनंद कभी भी अविश्वास से नहीं आता है परन्तु यह हमेशा वहाँ उपस्थित होता है जहाँ विश्वास होता है। विश्वास करना विश्वास नहीं करने से बहुत आसान है। यदि हम परमेश्वर के वचन, उसकी प्रतिज्ञाओं, पर विश्वास नहीं करते हैं, तो हम तर्क करने के परिश्रम और स्वयं कार्य करने के प्रयास के साथ छोड़ दिए जाते हैं। इब्रानियों 4:3 का लेखक लिखता है, कि वह हम जिन्होंने विश्वास किया है परमेश्वर के विश्राम में प्रवेश करते हैं। इब्रानियों 4:10 में उसने लिखा, ‘‘क्योंकि जिसने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी परमेश्वर के समान अपने कामों को पूरा करके विश्राम किया है।”

मत्ती 11:28 में यीशु ने कहा, ‘‘हे परिश्रम करनेवालों और बोझ से दबे हुए लोगों मेरे पास आओ मैं तुम्हें विश्राम दूँगा। (मैं तुम्हारी आत्मा को नया करके तुम्हें शांति दूँगा)”

यीशु ने हमें निर्देश दिया कि हम उसके पास आएँ, परन्तु हमें किस प्रकार उसके पास आना है। इब्रानियों 11:6 में हम पढ़ते हैं, ‘‘और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है; क्योंकि परमेश्वर के पास आनेवाले को विश्वास करना चाहिए कि वह है, और अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है।”

इसका तात्पर्य है कि जब हम परमेश्वर के पास आते हैं हमें ऐसा विश्वास करने के द्वारा करना चाहिए। जब हम करते हैं तो हमारे पास आनंद होगा, और जहाँ है वहाँ पर आनंद मनाना भी होगा। यह हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा है कि हम हमारे जीवन में आनंद हो और हम जीवन का आनंद उठाएँ। यीशु मेरे और आपके लिए इसलिए नहीं मरा कि हम कष्ट में पड़े रहें, वह हमें हर प्रकार की यातना और हमको गुलामी से छुड़ाने के लिए मरा। उसका कार्य समाप्त हो चुका है और एकमात्र कार्य जो हमारे करने के लिए रह गया है, वह विश्वास करना है।

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