विश्वास का उद्देश्य

विश्वास का उद्देश्य

सचेत हो, और जागते रहो; क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जनेवाले सिंह के समान इस खोज में रहता है कि किस को फाड़ खाए। विश्‍वास में दृढ़ होकर [शैतान की शुरुआत के खिलाफ – जड़ पकडे हुए, स्थापित, मजबूत, अचल, और दृढ़], और यह जानकर उसका सामना करो कि तुम्हारे भाई जो संसार में हैं ऐसे ही दु:ख सह रहे हैं। 1 पतरस 5:8-9

कई बार हम उस स्थान पर पहुंचने के लिए विश्वास का उपयोग करने की कोशिश करने की गलती करते हैं जहां परेशानी से पूरी तरह मुक्ति मिलती है। लेकिन विश्वास का उद्देश्य हमेशा हमें परेशानी से बचाना नहीं है; यह अक्सर हमें परेशानी के मध्य से लेकर जाना है। अगर हमें कभी कोई परेशानी नहीं होती, तो हमें विश्वास की कोई आवश्यकता ही नहीं होती।

हमारी समस्याओं से दूर भागने का प्रलोभन मौजूद है, लेकिन प्रभु कहता है कि हमें उनके मध्य से बाहर निकलना है। अच्छी खबर यह है कि उसने वादा किया है कि हमें कभी भी अकेले उनके मध्य से नहीं जाना पड़ेगा। वह हर तरह से हमारी मदद के लिए हमेशा मौजूद रहेगा। उसने हम से कहा है कि, “मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं” (यशायाह 41:10)।

हमारे दैनिक अनुभव में, हम स्थिर खड़े होकर शैतान का प्रभावी ढंग से विरोध करना सीख सकते हैं। कठिन समय में स्थिर रहना सीखना परमेश्वर के करीब आने और सामने आनेवाली किसी भी कठिनाई से बाहर निकलने के लिए के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है। परमेश्वर आपकी मदद करने के लिए आपके साथ है, इसलिए हार न मानें!


शैतान हार मान लेगा जब वह देखेगा कि आप हार नहीं मानने वाले हैं।

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