
हे पत्नियों, जैसा प्रभु में उचित है, वैसा ही अपने अपने पति के आधीन रहो। हे पतियों, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, और उन से कठोरता न करो। – कुलुस्सियों 3:18-19
डेव को सुबह के समय फल का सलाद पसंद है। इसलिए एक सुबह, प्रभु ने मुझे मेरे पति के लिए फल का सलाद बनाने के लिए उत्साहित किया।
समस्या यह थी कि मैं उसके लिए फल का सलाद नहीं बनाना चाहती थी। मैंने सोचा, क्यों मुझे सदा उसके लिए यह सब बनाना पड़ता है? प्रभु ने धैर्य के साथ मुझे याद कराया कि उस ढंग में मेरे पति की सेवा करना वास्तव में उसकी सेवा करना था।
मैं अचम्भा करती हूँ कि कितने वैवाहिक जीवन तलाक से बच जाएंगे अगर पति और पत्नीयां एक दूसरे की सेवा करने के द्वारा प्रेम करेंगे। ऐसा प्रतीत होता है कि हर कोई आज “आजाद” होना चाहते है, और यीशु ने हमें सचमुच आजाद किया है। पर उसने कभी नहीं चाहा कि हम स्वार्थ के साथ उस आजादी का इस्तेमाल करें। वह चाहता है कि हम प्रेम से हमारे जीवनसाथी की सेवा करें।
मैं निश्चय मेरे पति को प्रेम करती हूँ, और कभी-कभार वो प्रेम सेवा के द्वारा उत्तम प्रकट किया जाता है। शब्द अद्भुद होते है, पर जब आप प्रेम में चलते है, आपका समर्पण प्रेम के आपके कार्यो के द्वारा दिखाया जाएगा।
मैं आपको आपके प्रेम के पीछे कार्यों को रखने की विनती करती हूँ। परमेश्वर से कहें कि आपको दिखाएं कि कैसे आप आज आपके जीवनसाथी की सेवा कर सकते और उन्हें आशीषित कर सकते हैं।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं मेरे वैवाहिक जीवन में स्वार्थी नहीं होना चाहती हूँ। जैसा आप चाहते वैसे मेरे जीवनसाथी की सेवा करने, उन्हें शब्दों से ज्यादा प्रेम करने में मेरी सहायता करें।