मूसा ने यहोवा से कहा, ‘‘हे मेरे प्रभु, मैं बोलने में निपूर्ण नहीं, न तो पहले था, और न जब से तू अपने दास से बातें करने लगा; मैं तो मुँह और जीभ का भद्दा हूँ।’’ – निर्गमन 4:10
जब परमेश्वर ने मूसा को फिरौन और इस्राएलियों के सामने अपना प्रवक्ता होने के लिए बुलाया तब मूसा ने दावा किया कि वह उस कार्य के लिए उपयुक्त नहीं है जो परमेश्वर उससे करवाना चाहता था क्योंकि उसे “मुँह की समस्या” थी। परमेश्वर की प्रतिक्रिया थी, “मनुष्य के मुँह को किसने बनाया? क्या मैं वह यहोवा नहीं हूँ” (निर्गमन 4:11)। कभी कभी हम सोचते हैं कि परमेश्वर हमारी कमज़ोरियों के विषय में नहीं जानता है परन्तु वह जानता है।
जब मैंने यह समझना प्रारंभ किया कि परमेश्वर मुझे एक बड़े पैमाने पर अपने वचन की सेवा करने के लिए बुला रहा है, मैंने उसे स्मरण दिलाया कि मैं एक महिला हूँ। मुझे संदेह था कि क्या वह इस सच्चाई को भूल गया है। मुझे अपने साथ कोई समस्या नहीं थी परन्तु मैं उन लोगों को जानती थी जिनकी समस्या थी। और इस बात ने मेरे अंदर कुछ मात्रा में संदेह पैदा किया। मेरे जाने से पहले वह संदेह को जाना था।
12 पद में परमेश्वर ने मूसा से कहा, “अब जा, मैं तेरे मुख के संग होकर जो तुझे कहना होगा वह तुझे सिखलाता जाऊँगा।” अगली बार परमेश्वर आप से उसके लिए बात करने के लिए कहता है और आपके अंदर भय उठता है। स्मरण करें यदि उसने आपको भेजा है तो वह आपके मुँह के साथ होगा और आपको सिखाएगा कि क्या कहना है।