“तब यीशु ने सुबेदार से कहा, “जा, जैसा तेरा विश्वास है, वैसा ही तेरे लिए हो।” और उसका सेवक उसी घड़ी चंगा हो गया।” -मत्ती 8:13
बहुत वर्षों पूर्व मैं अत्यधिक नकारात्मक थी। मैं हमेशा कहती थी, यदि मैं एक पंक्ति में दो सकारात्मक विचार रखूँगी तो मेरे मन में दरार पड़ जाएगी। मेरा विचार यह था कि “यदि आप अच्छा होने की उम्मीद नहीं करते हैं तो जब ये नहीं होता है तो आप निराश नहीं होंगे।” मैंने अपने जीवन में बहुत सारी निराशाओं का सामना किया था-मेरे साथ बहुत निराशाजनक बातें हुई थी-कि मैं यह विश्वास करने से भी भयभीत होती थी कि कुछ अच्छा होगा। मैं हर एक नकारात्मक नज़रिया रखती थी। क्योंकि मेरे सभी विचार नकारात्मक थे उसी प्रकार मेरा मुड़ भी था, इसलिए मेरा जीवन भी ऐसा था।
जब मैंने सचमुच में वचन को अध्ययन करना और मेरे पुनःस्र्थापन के लिए परमेश्वर पर भरोसा रखना प्रारंभ किया तब पहली बात जो मैंने समझी वह थी कि नकारात्मकता को जाना है। मत्ती 8:13 में यीशु हम से कहता है कि यह हमारे लिए किया जाएगा जैसा हमने विश्वास किया है। किंग जैम्स अनुवाद कहता है, “जैसा तुम ने विश्वास किया वैसा ही तुम्हारे साथ होगा।” जो कुछ मैंने विश्वास किया यह नकारात्मक था, इसलिए स्वभाविक रूप से मेरे साथ बहुत सी नकारात्मक बातें हुई। इसका यह तात्पर्य नहीं कि मैं और आप किसी भी चीज़ के बारे में सोचने के द्वारा उसे पा सकते हैं। परमेश्वर हममें से प्रत्येक के लिए एक सिद्ध योजना रखता है और हम अपने विचारों और शब्दों के द्वारा उसे नियन्त्रित नहीं कर सकते हैं। परन्तु हमें अपने लिए उसकी योजना और उसकी इच्छा के साथ सहमतिपूर्वक बात करनी है।
यदि आपको कुछ भी नहीं मालूम कि इन मुद्दे पर परमेश्वर की इच्छा क्या है, कम से कम यह सोचने के द्वारा प्रारंभ करें। हाँ, मैं नहीं जानता कि परमेश्वर की योजना क्या है, परन्तु मैं जानता हूँ कि वह मुझ से प्रेम करता है। जो कुछ वह करता है वह अच्छा होगा और मैं आशीषित होंगा। अपने जीवन के विषय में सकारात्मक रूप से सोचना प्रारंभ कीजिए। प्रत्येक परिस्थिती में जो उत्पन्न होता है सकारात्मक होने का अभ्यास कीजिए। चाहे आपके जीवन में जो कुछ इस समय हो रहा है वह अच्छा नहीं हों। उम्मीद कीजिए कि परमेश्वर उससे भलाई उत्पन्न करे और जैसा कि उसने अपने वचन में प्रतिज्ञा किया है।