समस्या क्या है?

समस्या क्या है?

और सब इस्राएली मूसा और हारून पर बुड़बुड़ाने लगे; और सारी मण्डली उन से कहने लगी, भला होता कि हम मिस्र ही में मर जाते! या इस जंगल ही में मर जाते! और यहोवा हम को उस देश में ले जाकर क्यों तलवार से मारवाना चाहता है? हमारी स्त्रियाँ और बालबच्चे तो लूट में चले जाएँगे; क्या हमारे लिये अच्छा नहीं कि हम मिस्र देश को लौट जाएँ?- गिनती 14:2-3

इस्राएलियों से यह प्रश्न पूछना मुझे पसन्द था, उनका प्रमुख समस्या क्या है? व्यवसाय कुड़कुड़ाना लगता था, जैसा कि उपरोक्त पद हमें बताते हैं। वे न केवल अपने स्थिति पर विलाप करते और कुड़कुड़ाते थे, परन्तु मरूभूमि लाने के लिये वे मूसा को कोसते भी थे, कि वे मर जाएँगे। धर्मशास्त्र के दूसरे भाग में हम पढ़ते हैं, कि उन्होंने भोजन के लिये शिकायत किया। परमेश्वर ने उनके लिये मन्ना का प्रबन्ध किया। उन्हें केवल उसे रोज सुबह इकट्ठा करना था। परन्तु उन्होंने उस स्वर्गीय भोजन को पसन्द नहीं किया।

संक्षिप्त उनके लिये इसका कोई महत्व नहीं था कि परमेश्वर ने उनके लिये क्या किया या मूसा और हारून ने उनसे क्या कहा? वे शिकायत करने के लिये समर्पित थे। उन्होंने कुड़कुड़ाने की आदत बना दिया था। यह तो एक बहुत बड़ी आदत बन गई थी। यदि आप एक बात पर शिकायत करते हैं, तो वह दिन दूर नहीं जब आप दूसरी बात के लिये शिकायत करेंगे।

जब दो शिकायत करनेवाले एक साथ आते हैं, तो स्थिति बहुत बिगड़ जाती है। उन लाखों लोगों के बारे में क्या कहा जा सकता है, जो मिस्र से बाहर आये। एक बार जब कुड़कुड़ाने की बिमारी पकड़ लेती है, तो यह मानो यह एक वाइरस के समान सब को प्रभावित कर लेती है। वे हर बात के प्रति नकारात्मक थे, जब छोटी सी समस्या आती थी तो वे मिस्र जाने के लिये तैयार हो जाते थे। प्रतिज्ञा भूमि की ओर जाने से अच्छा वे गुलामी में जाकर रहना अच्छा समझते थे।

एक बार मूसा ने उस भूमि में बारह भेदिए भेजे और वे वापस आकर वर्णन किये, कि वहाँ की भूमि बहुत ही अद्भुत और उपजाऊ है। (गिनती 13 और 14 की कहानियाँ पढ़िये।)। शिकायत करनेवाले इन दस भेदियों से सब जुड़ गये (पुनः यहोशू और कालेब को छोड़कर सभी)। ‘‘हाँ यह एक बहुत बड़ा स्थान है’’, वे सहमत हुए। लेकिन सकारात्मक बातों से कुड़कुड़ानेवाले नहीं रूकते। उन्होंने इस में जोड़ा, वहाँ के निवासी बहुत शक्तिशाली हैं और उनके सामने हम तो टिड्डियों के समान हैं। (13:28,33)।

क्या वे उन सारे आश्चर्यकर्मों को भूल गये थे, जो परमेश्वर ने उनके लिये किया था? हाँ वे भूल गये थे। यही है जहाँ शैतान बहुत से लोगों को गिरा देता है। वे कुड़कुडाते हैं और अक्सर यह छोटी बातों के लिये होता है। वे किसी बात में गलती पाते हैं, यदि वे इन बातों को सोचने देने से क्या कर रहे हैं, तो उन्हें यह पूछने की आवश्यकता नहीं कि समस्या क्या है? उन्हें यह कहने की सिखने की आवश्यकता है, मुझे कोई समस्या नहीं है। मैं समस्या हूँ।

सही माईने में मूसा के दिनों में यही परिस्थिति थी। कनान में रहनेवाले लोग उन शत्रुओं से बड़े और शक्तिशाली नहीं थे जिन को वे लगातार सामना कर रहे थे। परन्तु क्या करते यदि उनकी समस्या और अधिक गंभीर होती। यदि परमेश्वर लाल सागर में मिस्रियों को नाश कर सकता था, तो परमेश्वर एक और आश्चर्यकर्म क्यों नहीं करता। वे उसके लोग थे और वह उन से प्रेम करता था।

वे स्वयं समस्या थे, और उन्होंने कभी इस सच्चाई को स्वीकार नहीं किया। चालीस साल के भ्रमण के दौरान उन्होंने कभी यही सन्देश को प्राप्त नही किया। वे कितने कठोर थे? मैं बहुत बार आश्चर्य करती हूँ। निश्चय ही यह कहना बहुत आसान है, क्योंकि मैं वहाँ नहीं थी और मैं संकेतों के द्वारा परिस्थिति को समझ रही हूँ। हमारे लिये अपने जीवन को जांचना कठिन है कि हम क्यों कुड़कुड़ाते और बुड़बुड़ाते हैं।

‘‘परन्तु मेरी परिस्थिति अलग है’’ लोग अक्सर मुझ से कहते। यह सच है, लेकिन जिस आत्मा के द्वारा आप कार्य करते हैं वह कुड़कुड़ाना प्राचिन इस्राएल में भी था। आप कुड़कुड़ाने और शिकायत करने में और गलतियों को ढूँढ़ने में व्यस्त हैं, कि आप के पास भले के तारीफ करने का समय ऊर्जा नहीं हैं।

आपकी जीवन के प्रति क्या भला है? मैंने एक बार एक महिला को चुनौती दी, जो लगभग हर चीजों के बारे में शिकायत करती थी।

उसने मेरी तरफ घूर के देखा और पाया कि मैं गंभीर थी। हाँ मेरे साथ एक अच्छा पति है, मेरे दो बच्चे हैं जिन से मैं प्रेम करती हूँ, और वे मुझ से प्रेम करते हैं। मैं मुस्कुराई और कहा, ‘‘हाँ आगे बोलते रहिये।’’

वह बोलती रही और उसका निराश चेहरा ठीक हो गया। यद्यपि उसने उन शब्दों में नहीं कहा, उसने स्वीकार किया।

मुझे लगता है मेरी कोई समस्या नहीं है, मैं समस्या थी, सचमूच।

__________

परमेश्वर के आत्मा, दूसरों को या अपनी परिस्थिति को या अपने चारो ओर को देखने की मेरी आदत को क्षमा कीजिये, जिसे मैं समस्या समझती थी। मैं नाखुश थी क्योंकि मैं इस बात को नहीं समझती थी कि मैं स्वयं छुड़ौती और विजय के लिये बाधा थी। मुझे क्षमा कीजिए और मुझे छुड़ाइये। उद्धारकत्र्ता के नाम में माँगती हूँ। आमीन्।।

Facebook icon Twitter icon Instagram icon Pinterest icon Google+ icon YouTube icon LinkedIn icon Contact icon