सहनशीलता का फल मिलता है

सहनशीलता का फल मिलता है

और जिस किसी ने घरों या भाइयों या बहिनों या पिता या माता या लड़केबालों या खेतों को मेरे नाम के लिये छोड़ दिया है, उसको सौ गुना मिलेगाः और वह अनन्त जीवन का अधिकारी होगा। – मत्ती 19:29

आरम्भ के सालो में जब हम हमारी सेवकाई का निर्माण कर रहे थे, डेव और मैं काफी मुश्किल की परीक्षाओं में से होकर निकले थे। मुझे अपने रवैये पर काम करने की आवश्यकता थी। हमें हमारे वैवाहिक जीवन पर और कैसे हम धन को संभालते हैं इस पर कार्य करने की जरूरत थी।

छः सालों तक मैंने मेरी जुराबें और जांघिया कबाड़ और गेराज सेल के स्थान से खरीदे थे। हम पूरी तरह टूट चुके थे – और मैं हमारे जीवनों में परमेश्वर के बहुतायत के संबंध को सिखा रही थी!

केवल इतना ही नहीं, उस समय स्त्रियों का प्रचार करना इतना प्रसिद्ध नहीं था। हमने मित्रों और परिवारिक सदस्यों को खो दिया था जो हमारे साथ कुछ नहीं करना चाहते थे।

यह सिर्फ कठिन था, और कभी-कभी मैं यह छोड़ना चाहती थी। लेकिन आज मुझे खुशी है कि मैं परमेश्वर के साथ बनी हुई हूँ क्योंकि पूरी दुनिया में ऐसे लोग हैं जिनकी मदद परमेश्वर ने हमारी सेवकाई के माध्यम से की है।

मत्ती 19 में वचन हमें बताता है कि हमें उसके पीछे चलने के लिए “महत्वपूर्ण” बातों को पीछे छोड़ना होगा। उस समय सब जो हमने सोचा कि हमें जरूरत है वो हमारे पास नहीं था, पर यह लेन-देन कहीं अधिक मूल्यवान था।

परमेश्वर के साथ अपनी यात्रा में सहनशीलता को रखें, तब भी जब मुश्किल होती है। उस पर ध्यान बनाए रखें, और जब उस विजय का आप अनुभव करते जो उसके पास आपके लिए है तो वो सब वापस भुगतान करेगा।


आरंभक प्रार्थना

परमेश्वर, कभी-कभी मसीही जीवन में सहनशीलता रखना मुश्किल होता है, पर मैं जानती हूँ कि सहनशीलता का फल मिलेगा। मुझे आगे बढ़ते रहने के लिए जो ताकत चाहिए वो ताकत मुझे देने के लिए आपका धन्यवाद। मैं केवल आपके पीछे चलुँगी, क्योंकि वही सब मायने रखता है।

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