साहस और आज्ञाकारिता

साहस और आज्ञाकारिता

इन बातों के पश्‍चात् यहोवा का यह वचन दर्शन में अब्राम के पास पहुंचा: “हे अब्राम, मत डर; तेरी ढाल और तेरा अत्यन्त बड़ा प्रतिफल मैं हूं।” उत्पत्ति 15:1

उत्पत्ति 12:1 में, परमेश्वर ने अब्राम को एक बड़ा आदेश दिया। इतने सारे शब्दों में उसने कहा, “अपना सामान बांध लें और तेरे परिचितों को और जिन चीजों में तू सहज महसूस करता है उन्हें छोड़ दे और ऐसी जगह चल जो मैं तुझे दिखाऊंगा।”

अगर अब्राम ने संदेह और अनिश्चितता के आगे घुटने टेक दिए होते, तो बाकी की कहानी कभी पूरी नहीं होती। उसने कभी भी परमेश्वर को उसकी ढाल के रूप में, उसके महान मुआवजे के रूप में अनुभव नहीं किया होता, और उसने कभी भी उसका अत्यधिक महान प्रतिफल प्राप्त नहीं किया होता।

उसी तरह, यदि यहोशू ने उसके भय पर विजय प्राप्त नहीं की होती और अपने लोगों को प्रतिज्ञा किए हुए देश में ले जाने के लिए परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं किया होता, तो न ही वह और न ही वे कभी भी उन सारी बातों का आनंद उठा पाते जो परमेश्वर ने उनके लिए योजना बनाई और तैयार की थी।

भयावह अनिश्चितता में घुटने टेकने से रोकने के लिए हमें लैस करने के प्रति परमेश्वर के वचन में सामर्थ्य है। हम वह कर सकते हैं जो परमेश्वर चाहता है की हम करें, भले ही हमें वह भय में ही क्यों न करना पड़े। जब हम किसी बाधा से भयभीत होते हैं, तब हम कह सकते हैं कि: “हे प्रभु, मुझे बल दे। यह चीज आपने मुझे करने के लिए कही है, और मैं आपकी मदद से इसे पूरा करने जा रही हूं, क्योंकि यह मेरे लिए आपकी प्रकट इच्छा है। मैंने ठान लिया है कि मेरे जीवन पर डर नहीं बल्कि आपके वचन का राज्य होगा।”


परमेश्वर हमेशा हमें “चीजों से” नहीं बचाता है; अक्सर वह हमें उनके “अंदर से” लेकर जाता है।

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