तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं प्रतिदिन सात बार तेरी स्तुति करता हूँ। – भजन संहिता 119:164
मत सोचिए कि जब हम अपने कार्यों को जो हम कर रहे हैं बीच में रोक कर अपने हाथों को आराधना करने के लिए ऊपर उठाते हैं या कुछ क्षण लेकर उसके सामने झुकते और कहते हैं, ‘‘प्रभु मैं आपसे प्यार करता हूँ।” कि इससे बढ़कर कोई और चीज़ परमेश्वर की स्तुति करती है? ऊपर लिखित वचन में भजनकार कहता है कि वह दिन में सात बार परमेश्वर की प्रशंसा करने के लिए समय लेता था।
एक व्यापारी के विषय में सोचिए, उदाहरण के लिए शायद एक बड़ी कम्पनी का अध्यक्ष क्या यह अद्भुत नहीं होगा यदि वह दिन में दो या तीन बार वह अपने दफ़्तर के दरवाज़े को बंद करता है। और घुटनों पर आता है और कहता है, ‘‘प्रभु परमेश्वर मैं कुछ समय आपकी आराधना करना चाहता हूँ। परमेश्वर पिता यह सारी चीज़ें तू मुझे दे रहा हैं, एक व्यापार, धन, सफ़लता बड़ी बातें हैं। परन्तु मैं केवल तेरी आराधना करना चाहता हूँ। मैं तेरी महिमा करता हूँ तू बहुत अद्भुत है, मैं तुझ से प्यार करता हूँ। मुझे केवल तुम्हारी ही ज़रूरत है। पिता मैं तेरी आराधना करता हूँ, यीशु मैं तेरी आराधना करता हूँ। पवित्र आत्मा मैं तेरी आराधना करता हूँ।” मैं विश्वास करती हूँ कि यदि व्यापारी ऐसा करता है तो उसे अपने व्यापार की, अपने धन की, और अपने सफ़लता की कभी चिंता नहीं करनी पड़ेगी। उन सारी बातों की देख भाल की जाएगी।
मत्ती 6:33 कहता है, ‘‘पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी।”