
. . . मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैं ने तुझ पर अपनी करुणा बनाए रखी है। यिर्मयाह 31:3
बहुत से लोग वास्तव में खुद को पसंद नहीं करते हैं। वे बहुत आत्म-आलोचनात्मक होते हैं; वे खुद को अस्वीकार करते हैं और खुद से नफरत भी कर सकते हैं। बाइबल हमें स्वार्थी और आत्मकेन्द्रित न रहने की शिक्षा देती है, परन्तु यह हमें कभी भी संतुलित तरीके से स्वयं से प्रेम न करने का निर्देश नहीं देती है। मैं हमेशा कहती हूं, “स्वयं के प्रेम से न घिर जाओ, बल्कि स्वयं से प्रेम करो।” यदि आप स्वयं से प्रेम नहीं करते हैं, तो आप दुखी हो जाओगे क्योंकि आप सदा स्वयं के साथ ही रहते हैं। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिससे आप कभी दूर नहीं होते हैं, यहां तक कि आपके जीवन के एक सेकंड के लिए भी नहीं।
मैंने एक बार एक युवती को एक पास्टर से उसके लिए प्रार्थना करने के लिए कहते सुना क्योंकि वह खुद से नफरत करती थी। पास्टर ने उसकी ओर देखा और वह हड़बड़ाहट में एक कदम पीछे हट गया। पास्टर ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा, “तुम्हें क्या लगता है कि जब परमेश्वर ने अपने इकलौते पुत्र को इतनी बुरी तरह से पीड़ित होने और तुम्हारे स्थान पर मरने के लिए भेजा, तो तुम खुद से नफरत करनेवाली कौन हो? यदि परमेश्वर ने तुम से इतना प्रेम किया है, तो निश्चय ही तुम स्वयं से प्रेम कर सकती हो।”
उस पास्टर के बयान ने उस युवती की उसकी गलती के प्रति आंखें खोल दीं जो वह कर रही थी, और उसने स्वयं से प्रेम करना और स्वयं को स्वीकार करना सीखने की अपनी यात्रा शुरू की। यही करने के लिए मैं आपको प्रोत्साहित करती हूं। विश्वास का एक कदम उठाएं और कहें, “मैं परमेश्वर के प्रेम से भरकर स्वयं से प्रेम करता हूं। मैं खुद को स्वीकार करता हूं।”
जैसे ही आप स्वयं को परमेश्वर जिस तरह आपको देखता है उस प्रकार देखना शुरू करते हैं, तब आपका संपूर्ण दृष्टिकोण और स्वभाव बदल जाएगा। आप एक अधिक सकारात्मक, आत्मविश्वासी व्यक्ति बन जाएंगे, और आप आपके जीवन का अधिक से अधिक आनंद लेना शुरू कर देंगे।
क्योंकि परमेश्वर आपसे प्रेम करता है, आप स्वयं से प्रेम कर सकते हैं।