इसलिए मुझे आशा है कि ज्यों ही मुझे जान पड़ेगा कि मेरी क्या दशा होगी, त्यों ही मैं उसे तुरन्त भेज दूँगा।-फिलिप्पियों 2:13
बाइबल कहती है कि परमेश्वर अपनी अभिलाषा हमारे अंदर डालता है कि हम इच्छा और उसके आनंद के लिए कार्य करें। हमें शुद्ध और पवित्र अभिलाषाओं के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। परमेश्वर हमारे अंदर अभिलाषाएँ डालता है कि हमें उस मार्ग पर जाने के लिए अगुवाई करे जिसमें वह चाहता है कि हम जाएँ। यदि हम वचन पढ़ने की अभिलाषा करते हैं तो परमेश्वर हमें वचन पढ़ने के लिए आमन्त्रित कर रहा है। यदि हम प्रार्थना करने की अभिलाषा रखते हैं जब हम टेलिविज़न देख रहे हों तब परमेश्वर हमसे प्रार्थना करने की ज़रूरत के विषय में बात करता है।
यूहन्ना 15 हमसे कहता है कि यदि हम मसीह में बने रहेंगे, यदि हम प्रभु के साथ अपने संबंध को जारी रखते हैं और एक समय तक उसके साथ बने रहते हैं जब उसका वचन हममें बना रहेगा। तब हम जो कुछ अभिलाषा रखते हैं वह माँग सकते हैं और उसने हमें वह देने की प्रतिज्ञा की है। उसमें बने रहना, और “उसके साथ लगे रहना है,” उसके साथ जीना है, उसके समान बनना है, और उन इच्छाओं को पूरा करना है जब वह हमारे हृदय में डालता है, क्योंकि हमारे लिए यह उसकी इच्छा है। वह हमारे हृदय में इच्छा डालता है ताकि हम प्रार्थना करें और उन चीज़ों को प्राप्त करें जो वह चाहता हो कि वह हमारे पास हों।
प्रार्थना के बिना परमेश्वर के पास कार्य करने के लिए कोई साधन नहीं है। यदि महसूस करते हैं कि परमेश्वर ने कुछ इच्छा आपके हृदय में डाली है तब प्रार्थना करना और उन चीज़ों को माँगना महत्वपूर्ण है जिनकी आप इच्छा रखते हैं। यदि आप निश्चित नहीं है कि आपकी इच्छा उसकी ओर से है कि नहीं, तब कहिए, “प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ कि आपने यह इच्छा मेरे हृदय में डाली है, इसलिए मैं इसके लिए आपसे माँगता हूँ। परन्तु मैं इसके बिना भी प्रसन्न रह सकता हूँ, क्योंकि मैं आपके साथ प्रसन्न हूँ। अब यह आप पर है कि जो कुछ आप करना चाहते हैं वह करें।”
सबसे बढ़कर स्मरण रखिए, कि शांति के द्वारा हमारी अगुवाई हो। चाहे हम किसी चीज़ की अभिलाषा कितनी भी क्यों न रखें, यदि हमारे हृदय की गहराई में इसके विषय में शांति नहीं है तो यह हमारे लिए ठीक नहीं है।