हमारे पास नहीं क्योंकि हम माँगते नहीं हैं

हमारे पास नहीं क्योंकि हम माँगते नहीं हैं

अब तक तुम ने मेरे नाम से कुछ (एक भी वस्तु) नहीं माँगा; माँगो, तो पाओगे ताकि तुम्हारा आनंद पूरा हो जाए। -यूहन्ना 16:24

एक सुबह मैं एक भयानक सिरदर्द के साथ जाग उठी। मैंने सोचा कि मुझे सर्दी हो गई है। मैं उस भयावह सिरदर्द के साथ इधर-उधर चलती रही, और पूरा दिन बिताया। और जिन जिन से मैं मिली उनसे कहा कि मुझे कैसा भयानक महसूस हो रहा है। और तब तक कहती रही जब तक प्रभु ने मुझ से नहीं कहा, “क्या तुम्हें कभी भी ऐसा लगा कि मुझे चंगाई देने के लिए तुम्हें कहना चाहिए था?” मैं यीशु में अपनी चंगाई देनेवाले के रूप में विश्वास करती थी। परन्तु मैंने अपना पूरा दिन शिकायत करते हुए व्यतीत किया और चंगाई नहीं माँगी।

यह हमारे जीवन में अक्सर होता है। हम अपनी समस्याओं की शिकायत करते हुए इधर उधर घूमते रहते हैं। और अपने समय का आधा हिस्सा समस्या को हल करने के लिए कल्पना करते हुए व्यतीत करते हैं। हम सूर्य के नीचे सब कुछ करते हैं सिवाय एक बात कि जो परमेश्वर का वचन हम से कहता है। माँगो कि हम पाए कि हमारा आनंद पूरा हो (यूहन्ना 16:24 देखिए)। हम ऐसे क्यों हैं? क्योंकि वे हमारा शारीरिक मानवीय स्वभाव चीज़ों को स्वयं करना चाहता हे। वे शरीर का स्वभाव है। वह अपनी समस्या अपने तरीके से सुलझाना चाहता है, ताकि वह महिमा पा सके। शरीर यह सब करना चाहता है क्योंकि वह श्रेय लेना चाहता है।

अपने विश्वास के जाल की तुलना में हम अधिक सफ़ल नहीं होने का एक कारण यह है। हम अपने प्रयासों के द्वारा वह पाने का प्रयास करते हैं जो परमेश्वर हमें अनुग्रह के द्वारा देना चाहता है। परन्तु हमें जो ज़रूरत वह देने के लिए उसे हमें प्रयास करना छोड़ने और भरोसा रखना प्रारंभ करने के लिए दीन होना चाहिए। हमें करना छोड़ना और माँगना प्रारंभ करने के लिए इच्छुक होना चाहिए।

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