हृदय के उद्देश्य को परखना

हृदय के उद्देश्य को परखना

इन बातों के पश्चात ऐसा हुआ कि परमेश्वर ने अब्राहम से यह कहकर उसकी परीक्षा की ‘‘हे अब्राहम” उसने कहा ‘‘देख मैं यहाँ हूँ।” उसने कहा ‘‘अपने पुत्र को अर्थात अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देश में चला जा, और वहाँ उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊँगा होमबलि करके चढा।” अतः अब्राहम सबेरे तड़के उठा और अपने गदहे पर काठी कसकर अपने दो सेवक, और अपने पुत्र इसहाक को संग लिया, और होमबलि के लिए लकड़ी चीर ली, तब निकल कर उस स्थान की ओर चला, जिसकी चर्चा परमेश्वर ने उससे की थी। -उत्पत्ति 22:1-3

मैं विश्वास करती हूँ कि परमेश्वर अब्राहम की प्राथमिकताओं को परख रहा था। शायद इसहाक अब्राहम के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बन गया था। इसलिए परमेश्वर ने अब्राहम की परीक्षा करने के लिए यह किया, क्या वह विश्वास और आज्ञाकारिता का पालन करता है। इसहाक को उसे दे देगा। जब परमेश्वर ने आज्ञापालन करने की अब्राहम की इच्छा को देखा तो उसने इसहाक के स्थान पर बलिदान करने हेतु एक मेमने का प्रबंध किया।

स्मरण रखिए हम सब परीक्षाओं से होकर गुज़रते हैं। अब्राहम के समान ये परीक्षाएँ परखने, प्रमाणित करने और हमारे विश्वास को विकसित करने के लिए हैं। एक परीक्षा जिससे मुझे गुज़रना पड़ा था वह था, ‘‘क्या होता यदि मेरे पास वह सेवकाई नहीं होती जिसका मैंने इतने दिनों से सपना देखा था? क्या होता यदि मैं एक समय पर कभी भी पचास लोगों से अधिक की सेवा नहीं कर पाई? क्या मैं अब भी परमेश्वर से प्रेम करती और प्रसन्न रह सकती?”

आपके विषय में क्या है? यदि आप वह सब नहीं प्राप्त करते हैं, जो कुछ आप चाहते हैं; क्या फिर भी आप परमेश्वर से प्रेम कर सकते हैं? क्या अब भी आप अपने जीवन भर उसकी सेवा करेंगे? या आप उससे केवल कुछ पाना चाह रहे हैं? हृदय के लक्ष्य में स्वाथ्र्य और निःस्वार्थता के बीच में एक पतली सी रेखा उसे विभाजित करती है और हमें हमेशा इस बात को समझना चाहिए कि हम रेखा या पंक्ति के किस तरफ़ खड़े हैं।

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