अंतर्धाराएँ

अंतर्धाराएँ

(यीशु ने कहा)

प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालो को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है कि बंदियों को छुटकारे का और अंधों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूँ और कुचले हुओं को छुड़ाऊँ और प्रभु के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करूँ। – लूका 4:18-19

बहुत समय तक मैं और मेरे पति डेव कलीसिया की गतिविधियों में सक्रिय रहे थे। कलीसिया में हमारे चेहरों पर चमकीली मुस्कान होती थी और अन्य कलीसियाई सदस्यों से अच्छी तरह घुलमिल गए थे। मुझे निश्चय है कि लोग सोचते थे कि हम एक आदर्श दंपति हैं।

किन्तु हम आदर्श नहीं थे। हम एक तनावपूर्ण विवाहित जीवन जी रहे थे। यह घर पर ही दिखता था। जब हम आराधनालय पहुँचते तो कुछ समय के लिए सारे मन – मुटाव एक तरफ रख देते थे। कुछ भी हो हम नहीं चाहते थे कि हमारे मित्र जानें कि हमारे घर में बन्दद्वार के पीछे की वास्तविकता क्या है।

डेव और मैं लगातार तनाव में जीते थे-लेकिन तनाव हमेशा खुली लड़ाई नहीं होती है। तनाव को क्रोधी अंतर्धारा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

हम कई बार वादविवाद करते थे, लेकिन अक्सर हम ऐसा दर्शाते मानो हमारे बीच सब कुछ ठीक चल रहा है। अभी मैं जब पीछे मुड़कर देखती हूँ तब मानती हूँ कि हम पूरी रीति से नहीं समझ पाए कि हमारे बिच कोई समस्या है। बाइबल हमें सिखाती है कि हम अपने हृदय से बोलते हैं। यदि हम सचमुच ध्यान देते कि एक दूसरे के बारे में और एक दूसरे से क्या कुछ कहते है, तो हम समझ जाते कि कुछ न कुछ गलत है। उदाहरण के लिए हम सार्वजनिक रूप से एक दूसरे के बारे में मज़ाक करते थे। ‘‘वह सोचती है कि वह मालकीन है’’, डेव कहते थे, ‘‘वह जो चाहती है वह पाकर ही रहती है, और तब तक मुझ पर सवार रहती है जब तक उसकी इच्छा पूरी न हो जाए। जॉयस सब कुछ और सब पर नियंत्रण रखना चाहती है।’’ तब वह रूककर मेरे माथा चूमते और मुस्कुरा देते।

‘‘मैं नहीं सोचती कि डेव बहुत अच्छे से सुनते हैं’’ मैं कहती। ‘‘मुझे उनसे चार बार कहना पड़ता है कि वे कचरा बाहर कूड़ेदान में डाल दें।’’ मैं मुस्कुराती, और मैं चाहती कि सब लोग समझे कि यह एक मज़ाक है।

हर कोई इस अंतर्धारा को समझ नहीं पाता परन्तु यह बातें वहाँ रहती थी। जो लगातार हमारे घर आते थे, वे हमारे व्यवहार में व्याप्त क्रोध व अस्त-व्यस्यता का अनुभव कर लेते थे। जब हम एक दूसरे को नीचा दिखाते तब हम मुस्कुरा कर कहते, ‘‘यह तो मज़ाक था”, तब कैसे हम दोनो के बिच मे बड़ी समस्या हो सकती थी?

जब घर का वातावरण खराब हो तो शैतान इसे बेहद पसन्द करता है। विभाजन उसका लक्ष्य है और अक्सर वो इसमें सफल भी हो जाता है। शैतान को बेहद खुशी होती है, जब लोग बनावटी जीवन जीते है और कहीं कोई गम्भीर समस्या दिखाई ही नहीं पड़ती। यह अन्धकार की शक्तियों के लिए अनुकूल है। शैतान लगातार विजयी होता ही रहता यदि मैं और डेव कलह के खतरे को नहीं जान पाते और अपनी सच्चाई का सामना नहीं करते। हमें अपने आप को देखकर यह अंगीकार करना था कि किस प्रकार हमने परमेश्वर को और स्वयं को पराजित किया था। हमें स्वीकार करना था कि हमारी मुस्कुराहट और  मज़ाक दर्द को छुपाने का मुखौटा था।

यदि मैं और डेव शैतान के आक्रमणों को पराजित करने जा रहे थे, तो हमें कड़ी परिवर्तन लाना था। हमें इन अंतर्धाराओं से लड़ना था और अन्धकार को उजाले में लाना था।

यह सन्देश हम सब के लिए भी है। हमें स्वयं को परमेश्वर के वचन के प्रति खोलना था और हमें अपने पराजयों और कमियों को देखना था। हमें मानना था – ‘‘मैं गलत था/थी।’’

डेव और मुझ मे एक बुरी आदत थी – कठोर शब्दों में कहूँ तो शैतान ने हमारे मनों में मार्ग तैयार कर रखा था। हम अपने व्यवहार को सही ठहराते थे और अपनी समस्याओं के लिए एक दुसरे को दोषी ठहराते थे। हमें जीवन की त्रुटियों को दिखाए जाने की आवश्यकता थी और परमेश्वर का धन्यवाद हो, उसने हमें दिखाया भी।

हमें परमेश्वर के वचन को गहराई से सीखना था, और गरम असहमतियों, शान्ति और आनन्द को अंत करनेवाली क्रोध के अंतर्धारा और वादविवाद से अपने घर के वातावरण को बचाने के लिए हमें स्वयं को विनंम्र करने की आवश्यकता थी। पवित्र आत्मा ने हमारे साथ कार्य किया और अब हम परस्पर शान्ति का आनन्द उठाते हैं। हम एक दूसरे का आदर करते हैं और निजी और सार्वजनिक जीवन में अच्छा व्यवहार करते हैं।

अंतः हमने शैतान के झूठ पर ध्यान देना छोड़ दिया। हमने परमेश्वर के वचनो के हथियार, स्तुति और प्रार्थना का उपयोग करना प्रारम्भ कर दिया और हमने उन दृढ़ गढ़ों पर महान विजय का अनुभव किया जो एक समय हमारे मनों में स्थापित हो गये थे।

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प्रभु यीशु, मैं बहुत आनन्दित हूँ कि आप दबे हुओं को छुड़ाने आऐं। यह समझने में मेरी सहायता करने के लिए धन्यवाद कि सताव शैतान की ओर से आता है… और अपने वचन के हथियार और प्रार्थना उपलब्ध कराने के लिए कि मैं शैतान के शक्तिशाली पकड़ से स्वतन्त्र होने के लिए उनका इस्तेमाल कर सकूँ । प्रभु यीशु, मैं प्रार्थना करती हूँ कि मैं अभी और सदा के लिए स्वतन्त्र रह सकूँ। आमीन।

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